जी हां यह कोई मजाक नहीं यह अब तक की सबसे बड़ी सनसनी है।
आम आदमी पार्टी ने पंजाब सरकार से मांग की है कि दिल्ली में किसानों के लिए पंजाब पुलिस दो ।
यह वही पार्टी है जो एक निर्भया की लाश पर राजनीतिक रोटी सेक के आती है और बाद में उसी निर्भया के दोषी को उपहार में सीलाई मसीन देती है। देश की महिलाएं कैसे उन्हे वोट कर पाती है यह समझ से परे है।
अमरिंदर सिंह ने आम आदमी पार्टी के मांग को मजाक में टाल दिया पर तथाकथित किसान आंदोलन को हवा देने में सबसे आगे अमरिंदर सिंह थे । अमरिंदर सिंह पंजाब में ऐसे नेता थे जिनकी इज्जत हर वर्ग में थी । बीजेपी के समर्थक भी अमरिंदर सिंह को इज्जत की नजर से देखते थे पर कुछ महीनों मे उनकी राजनीति देख कर यही लगता है वह किसी दवाब में है। अमरिंदर सिंह किसी राजनीति पार्टी के मोहताज नहीं थे वह एक नाम ही काफी थे पर उन्होंने जो कमाया था वो अपने पार्टी के मुखिया मंदबुद्धि गांधी के इशारे पर जो रवैया दिखाया है वह कई संदेह को जन्म देता है।
खैर राजनीति में कोई किसी का नहीं होता वरना जो अकाली दल सिक्ख अस्मिता के कारण और 1984 सिक्ख नरसंहार जो कांग्रेस द्वारा प्रायोजित बताया जाता है उसके खिलाफ लड़ाई लड़ कर सत्ता के शिखर पर पहुंच गई और यह नए कानून आने के बाद इस कानून का समर्थन भी किया पर अचानक ऐसा क्या हुआ कि पंजाब में तीन विरोधी पार्टियां आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और अकाली दल सबके सब एक तरह की मांग कर रहे हैं और इनको चुनाव भी एक दूसरे के खिलाफ लडना है तो जो आज इनके वोटर इनका साथ दे रहे है वो चुनाव में किस मुद्दे पर वोट करेंगे।
क्या यह खालिस्तानियों कि रेफरेंडम 2020 के असफल प्रयास को एक बल पहुंचाना नहीं है?
कभी फौज को किसान आंदोलन के नाम पर पंजाब अस्मिता से जोड़ना कभी पंजाब पुलिस का अपने ही देश के सीआरपीएफ और दिल्ली पुलिस के खिलाफ होने की बात कहना। अकाली दल के सुखवीर बादल हो या कांग्रेस के अमरिंदर सिंह या आम आदमी पार्टी का एक एक करके किसान आंदोलन के नाम पर तथाकथित नेताओं से मिलना। आखिर यह मामला है क्या?
ज्ञात रहे कि यह कृषि कानून के जरिए पिछले किसी कानून को खत्म नहीं किया गया है । जिसको दलालों के माध्यम से फसल बेचने हो वो स्वतंत्र है फिर भी ऐसा क्या है इस कानून में जो सारे विपक्षी आम भारतीय की जिंदगी से खिलवाड़ करते हुए इस आंदोलन को हिंसक बनाने पे तुले हुए हैं।
यह सिर्फ एक प्रयोग है खालिस्तानियों, चीनियों और पाकिस्तानियों द्वारा फंड किए हुए दलालों का अगर सरकार पीछे हट गई तो फिर आगे इसी तरह अपनी हर बात मनवा लेंगे।
अमरिंदर सिंह ने कई बार फौज में भर्ती पंजाब के सैनिकों के लिए टीवी न्यूज चैनल पर कहा है कि पंजाब के जवान जो शरहद पर है उनकी भावना आहत हो रही है पर यह बात उनको कैसे पता । पंजाब का पुतर देश की रक्षा के लिए खड़ा है तो वह कोई पंजाबी नहीं वो भारतीय की हैसियत से खड़ा है।
अमरिंदर सिंह को पता होना चाहिए देश में आज करोड़ों युवा बिना किसी सैलरी के देश की रक्षा के लिए खड़ा है।
आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली में है और दिल्ली में अनाज उपजाने वाले किसान ही कितने है जो आम आदमी पार्टी इतना छटपटाती नजर आ रही है। यह कई सारे ऐसे मुद्दे हैं जो आज हार आदमी चर्चा कर रहा है और उसे समझ नहीं आ रहा है आखिर ऐसा है क्या इस कानून में।

एक देशभक्त लेखक
अमित कुमार

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.