जब आप सर्च करते है मोहेंजों डेरो के बाद कौन सा बड़ा टीला है जहां आज भी अवशेष दबे है तो आप को अघम कोट(अघमणों) का नाम मिलता है। यह टीला हैदराबाद से दक्षिण पूर्व में 30 कि.मी. दूर है। इसका इतिहास देखे तो इस शहर की नींव रखने वाले राजा का नाम है राजा अघम लोहाना जिसका चचनामा में बारबार जिक्र आता है। वह एक शक्तिशाली राजा था। इस बौद्ध धर्मी राजा अघम के आधिपत्य में सामा लोहाना, लाखा लोहाना और सहता लोहाना ऐसे तीन राज्य थे।
जब 632 ई. में ब्राह्मण मंत्री चच राजा राय साहसी की विधवा रानी से विवाह कर अरोर का राजा बना तब उसने अपने मंत्री बुद्धिमान से पूछा वह कौन से राज्य थे जो अरोर का आधिपत्य का स्वीकार करते थे। फिर मंत्री बुद्धिमान ने चार राज्यो के बारे में बताया। जिसमें बाबियाह और इस्कंदाह के राजा जेत्तार(चित्र), मुल्तान के राजा बछरा, बुधिया के बसर कोटक(लोहाना) और सिविस्तान के राजा मत्ता(मथ्था)। उसके बाद राजा चचने उन सब पर आक्रमण करते tribute(कर) वसूलता है। लेकिन आखिरी राजा सिविस्तान के राजा मत्ता(मथ्था) पड़ोसी राजा अघम लोहाना को मदद के लिए कहता है और अघम लोहाना सिविस्तान के राजा मत्ता(मथ्था) को मदद करने की सम्मति देते हुए पत्र लिखता है और ये पत्र राजा चच के हाथो में आ जाता है और वह बहुत ही गुस्सा होता हैऔर अघम को पत्र लिखता है।
“You consider yourselves kings of the time, from your power and grandeur, origin and lineage. Though I have not inherited this kingdom and sovereignty, and this wealth and affluence, this power and dignity, from my father and grandfather, and though this country has not been ours before, still my elevation and my improved fortunes are due to the grace of God. It was not by my army that I won them, but the One God, the Peerless, the Incomparable, the Creator of the world, has given me the kingdom by the blessing of Selaij; and it is from him that I receive help in every thing. I do not depend upon any other person for assistance. He is the Accomplisher of my undertakings and the Giver of help in all my movements. He is the Bestower of victory and success in all contests and oppositions. We have been graciously javoured with the blessings of both the worlds. If (you think) your power and prestige are the creation of your own bravery, courage, resources, and splendour, then, without doubt, your fortunes will decay, and the vengeance of death is but the legitimate due of your soul.”
Chachnama page no. 32
इस पत्र से साबित हो जाता है कि अघम लोहाना और उनके पूर्वज प्राचीन काल से सिंध पर शासन करते थे ।
क्योंकि चच के पत्र का अघम लोहाना कोई जवाब नहीं देता है और इसीलिए चच आक्रमण कर देता है। भयंकर युद्ध के बाद अघम युद्ध में वीरगति को प्राप्त होता है और अघम की जगह उनका नाबालिग बेटा सरहंद (सरबंदा) लोहाना गद्दी पर आता है। जब चच को समझ आया की युद्ध से नहीं जीता जाएगा तो उसने कूटनीतिक चाल चली और चच ने अपनी भतीजी का विवाह सरहंद लोहाना से कर दिया और खुद अघम लोहाना की विधवा से शादी कर ली। इसके बाद यह किल्ला राजा चच के पास आ गया और सरहंद लोहाना इसका क्षत्रप(Governor) बन गया। लेकिन आरबों के आक्रमण के बाद यह किला आरबों के पास चला गया।
आरबों के बाद गज़नवी का काल भी आया इसके बाद सुमरा मुस्लिम राजवंश(मूल हिंदू भाटी राजपूत) और इसके बाद सामा राजवंश (मूल लोहाना क्षत्रिय) का शासन आया। यह शहर सामा के समय ये बहुत ही बड़ा व्यापारी केंद्र था और यहाँ बहुत सारी मदरसा और मुस्लिम शैक्षणिक संस्था थी। इतिहास बताता है की यहाँ मेसोपोटामिया से भी विद्यार्थी पढ़ने के लिए आते थे।
यहाँ बहुत सारे मुस्लिम शासकों की कबर भी है। लेकिन इस शहर को नजर लग गई। इतिहास में इस शहर के नष्ट होने के पीछे दो कारण दिये जाते है। पहला कारण यह है की यहाँ मददखान पठान नाम के अफगानी शासक ने आक्रमण किया और इस शहर को पूरी तरह तबाह कर दिया। सारे के सारे शहर को खत्म कर दिया गया। तो दूसरा कारण भूकंप की वजह से सिंधु नदी का प्रवाह बादल गया इसीलिए लोगों ने इस शहर को छोड़ दिया।
इस शहर के खण्डहर आज भी आज भी बता रहे है कि यह नगर कितना भव्य था। और इस archeological site को बचाया जाना जरूरी है। यह हिंदु और मुस्लिम दोनों सभ्यताओं का इतिहास छुपा के पड़ी है।
References:
History of Mediaeval Hindu India
Agham Kot — a forgotten archaeological site of Sindh, Daily Times, Pakistan
Agham Kot or Aghamani, Badin Heritage of Sindh
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