असम में लगभग डेढ़ लाख अवैध लोगों की हुई पहचान :30 हज़ार घुसपैठियों को देश से बाहर भगाया गया

मोदी सरकार ने जिन कुछ कामों को अपनी सरकार द्वारा किये जाने वाले कार्यों में सबसे ऊपर वरीयता दी थी वो थी चारों तरफ से देश की सभी सीमाओं को सुरक्षित करना . मोदी सरकार ने ये देख लिया था कि कैसे पचास सालों से अधिक समय से भी भारत अपनी किसी भी सीमा की सुरक्षा के प्रति उतना गंभीर और सजग नहीं हो पाया था , जितना जरूरी था .
या कांग्रेस और उसके जैसी सरकारों ने जानबूझ कर बहुत अलग अलग स्वार्थों के कारण सीमा को पूरी तरह सील और सुरक्षित करना सुनिश्चित नहीं किया . मोदी सरकार देश की सीमाओं को अभेद और अचूक बनाने के लिए पहले ही दिन से प्रतिबद्ध रही . पाकिस्तान में घुस बार बार घुसपैठियों का फन कुचलना हो या , लेह लद्दाख में चोरों की तरह चुपचाप बढ़ते चले आ रहे चीनी सैनिकों और चीन की गर्दन /मंसूबे मरोड़ देना ,मोदी सरकार हर फ्रंट पर आक्रामकता के साथ अग्रणी रही .
अब नंबर लग गया है असम का . पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश ,चीन आदि से जितनी अवैध घुसपैठ असम में की या कराई गई उतनी शायद सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही हो अन्य किसी राज्य में नहीं .राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर का काम वहाँ जारी रहने से , वहाँ रह रहे लाखों अवैध बांग्लादेशियों ,रोहिंग्याओं और चीनी मूल के अवैध नागरिकों की पहचान सरकार ने पिछले दिनों युद्ध स्तर पर की .
98.35 % of fencing work at the Assam-Bangladesh border has been completed
— Megh Updates ? (@MeghUpdates) December 28, 2020
1,34,810 illegal citizens have been detected in Assam and nearly 30,000 of them are expelled from the country : MP Jay Panda
याद हो कि , नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में मुगलों , रोहिंग्याओं द्वारा स्थानीय कांग्रेसियों के साथ मिल कर बहुत समय तक राज्य में असंतोष फैलाने और दंगे फसाद करने की कोशिश भी की गई थी . देश में अवैध नागरिकों के लिए सरकार की तरफ से बनाए गए कुल 4 डिटेंशन सेंटर भी असम में ही है .
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