असम में बांगलादेशी घुसपैठियों की समस्या काफी पुरानी है। लेकिन जब से असम में हिमंता बिस्वा सरमा ने सत्ता की बागडोर अपने हाथों में ली है तब से सीएम हिमंता और उनकी पुलिस की पैनी नजर इन कट्टरपंथियों पर है.

इसी कड़ी में एक बार फिर असम की पुलिस को बड़ी सफलता मिली है. पुलिस ने राज्य में अवैध रूप से इस्लाम का प्रचार करने के आरोप में 17 बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया है। बांग्लादेशी नागरिकों पर पर्यटक वीजा मानदंडों का उल्लंघन कर इस्लाम का प्रचार करने का आरोप है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, असम के बिश्वनाथ जिले के बाघमारी से शनिवार को 17 बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से 11 को स्थानीय अदालत ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया है, जबकि बांग्लादेशी इस्लामिक प्रचारक सैयद अशरफुल आलम समेत बाकी 6 को पुलिस हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। इन सभी पर बिश्वनाथ जिले में ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बाघमारी के एक सुदूर इलाके में बकायदा शिविर लगाकर इस्लाम का प्रचार करने का आरोप है।

इनके अलावा इस्लाम का प्रचार करने वाले बांग्लादेशी नागरिकों को शरण देने के आरोप में बाघमारी के दो स्थानीय लोगों जेहीरुल हक और समसुल अली को भी गिरफ्तार किया गया है। इस समूह का नेतृत्व इस्लामिक प्रचारक सैयद अशरफुल आलम ने किया था, जबकि बाकी उसके चेले हैं।

असम पुलिस के स्पेशल सेल के अधिकारी बिश्वनाथ पुलिस स्टेशन में हिरासत में लिए गए लोगों से पूछताछ कर रहे हैं। इन लोगों ने टूरिस्ट वीजा के जरिए भारत में प्रवेश किया था। असम में प्रवेश करने से पहले इन्होंने दिल्ली, अजमेर शरीफ के अलावा विभिन्न स्थानों का दौरा किया था। ये समूह असम के कूचबिहार से एक बस में चढ़ा था और 13 सितंबर को बिश्वनाथ पहुंचा था। अशरफुल आलम ने उसके बाद बाघमरी में इस्लाम का प्रचार करना शुरू किया और गिरफ्तारी से पहले ही लगभग 500 लोगों को अपना शागीर्द बना लिया था।

रिपोर्ट के मुताबिक सैयद अशरफुल आलम पिछले महीने भी बांग्लादेश सीमा से सटे दक्षिण सलमारा जिले में इस्लाम का प्रचार करते हुए पाया गया था और 28 अगस्त को उसे पुलिस ने असम छोड़ने के लिए कहा था। इसके बाद इस समूह ने असम छोड़ दिया था और भारत में अन्य स्थानों का दौरा किया, लेकिन कुछ दिनों बाद वह फिर यहां लौटकर आया और 13 सितंबर को बाघमरी पहुंचा। रिपोर्ट के मुताबिक जहां यह समूह रह रहा था, वह मुस्लिम बहुल क्षेत्र है।

दरअसल हिमंता बिस्वा सरमा की सरकार इस्लामिक कट्टरपंथियों और जिहादी तत्वों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है। असम में लंबे समय से बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा कट्टरपंथी और जिहादी तत्वों का जो नेटवर्क तैयार किया गया था उसे हिमंता सरकार ठीक करने में जी जान से जुटी हुई है।

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