जिस दिन से हिमंता बिस्व सरमा ने असम के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी संभाली है एक के बाद एक बड़े और कड़े फैसलों की वजह से वे चर्चा में बने हुए है, कभी अपराध के खात्मे को लेकर तो कभी बाहरी घुसपैठियों को बाहर खदेड़ने को लेकर जो तेवर सीएम हिमंता ने अपनाये है वो काबिले तारीफ है .

इस बार हिमंत बिस्वा की अगुवाई वाली सरकार ने सोमवार को राज्य विधानसभा में एक विधेयक पेश किया जिसका मकसद राज्य के उन हिस्सों में मवेशी का वध और बिक्री पर रोक लगाना है जहां हिंदू, जैन और सिखो की संख्या ज्यादा है । इस विधेयक में उचित दस्तावेज के अभाव में मवेशियों के एक जिले से दूसरे जिले और असम के बाहर परिवहन को भी अवैध बनाने का प्रस्ताव है। नए प्रस्तावित कानून-असम मवेशी संरक्षण विधेयक 2021 के तहत अपराध गैर-जमानती होंगे। सरमा ने सदन में विधेयक पेश करने के बाद यह बताया कि “नए कानून का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मवेशियों के वध की उन क्षेत्रों में अनुमति नहीं दी जाए जहां मुख्य रूप से हिंदू, जैन, सिख और बीफ नहीं खाने वाले समुदाय रहते हैं अथवा वे स्थान किसी मंदिर और अधिकारियों द्वारा निर्धारित किसी अन्य संस्था के पांच किलोमीटर के दायरे में आते हैं।” साथ ही दोषी पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को कम से कम तीन साल और अधिकतम 8 साल तक की कैद या 3 लाख रुपए से 5 लाख रुपए तक का जुर्माना व दोनों हो सकता है। नए कानून के तहत अगर कोई दोषी दूसरी बार उसी या संबंधित अपराध का दोषी पाया जाता है तो उसकी सजा दोगुनी हो जाएगी।

दरअसल इसका मकसद पड़ोसी बांग्लादेश में गायों की तस्करी को रोकने और गायों के अंतरराज्यीय परिवहन पर प्रतिबंध लगाना है। विधेयक के अनुसार पशु चिकित्सा अधिकारी केवल तभी प्रमाण पत्र जारी करेगा जब उसकी राय में मवेशी, जो गाय नहीं है और उसकी आयु 14 साल से अधिक हो. गाय, बछिया या बछड़े को तभी मारा जा सकता है जब वो स्थायी रूप से अपाहिज हो.

विपक्ष ने सरकार पर हमला करते हुए कहा है कि “यह गायों की रक्षा के लिए या गायों के सम्मान के लिए कोई विधेयक नहीं है। यह मुसलमानों की भावनाओं को आहत करने और समुदायों का और ध्रुवीकरण करने के लिए लाया गया है।

बता दें आपको ये कानून पूरे असम में लागू होगा और मवेशी शब्द बैल, गाय, बछिया, बछड़े, नर और मादा भैंस और भैंस के कटड़ों पर लागू होगा।

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