पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा का मुद्दा अब देशभर से 2,093 महिला वकीलों ने उठाया है. जिसके तहत महिला वकीलों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र सौंपकर पिछली 2 मई से पश्चिम बंगाल में जारी हिंसा, हत्या, बलात्कार और लूटमार के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर जरुरी कदम उठाने की मांग की गई है। पत्र पर देश के 28 राज्यों और 8 केन्द्र शासित प्रदेशों की कुल 2093 महिला वकीलों के पते, ईमेल आईडी और फोन नंबर के साथ उनके हस्ताक्षर भी हैं, महिला वकीलों मे मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना से मांग की है कि चुनाव के बाद हुए खूनखराबे की जांच के लिए SIT का गठन किया जाए.
महिला वकीलों ने कहा कि बंगाल में संवैधानिक संकट है, दो मई से जारी हिंसा के कारण नागरिकों की स्थिति दयनीय है. पत्र में कहा गया है कि अपराधियों ने महिलाओं और बच्चों को भी नहीं बख्शा है. राज्य का शासन और पुलिस मूक है, हिंसा पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, पत्र में कहा गया है कि हिंसा का ऐसा वीभत्स तांडव पहले कभी देखने में नहीं आया है . इसके अलावा महिला वकीलों के इस पत्र में साफ लिखा है—”पुलिस की गुंडों से साठगांठ है जिसके चलते पीड़ित रिपोर्ट तक दर्ज नहीं करवा पा रहे हैं।
महिला वकीलों ने कोर्ट से गुहार की है कि हिंसा, आगजनी, लूट, बलात्कार, मौत से आहत लोगों, उनके परिजनों को राज्य सरकार से मुआवजा दिलाया जाए। पश्चिम बंगाल के डीजीपी को हर स्तर पर प्राथमिकता के साथ शिकायतें दर्ज करने का एक प्रभावी तंत्र बनाने का निर्देश दिया जा सकता है जिसकी सुप्रीम कोर्ट को दैनिक रपट दी जाए। साथ ही सूबे के डीजीपी पीड़ितों का पूरी सुरक्षा मिलना सुनिश्चित करें।
रिटायर्ड न्यायाधीशों, सिविल और पुलिस सेवाओं के वरिष्ठ अधिकारियों, राजदूतों और सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारियों के एक मंच ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पश्चिम बंगाल में हालिया राजनीतिक हिंसा को लेकर एक पत्र लिखा है. बंगाल में 2 मई को विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद हिंसा भड़क उठी थी, जिसकी जांच की मांग करते हुए ज्ञापन या पत्र लिखा गया है. इस ज्ञापन पर 146 सेवानिवृत्त व्यक्तियों ने हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें 17 न्यायाधीश, 63 नौकरशाह, 10 राजदूत और 56 सशस्त्र बल अधिकारी शामिल हैं.
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक बंगाल में 15 हजार से ज्यादा हिंसक घटनाएं होने का पता चला है। महिलाओं समेत दर्जन से ज्यादा लोग मारे गए हैं। राज्य के 23 में से 16 जिले हिंसा की चपेट में आए हैं। नतीजा यह हुआ कि तकरीबन 5 हजार लोगों को असम, ओडिशा और झारखंड की तरफ पलायन करना पड़ा है। ज्ञापन में पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगाा गया है कि यह हिंसा से पीड़ित राज्य में कानून व्यवस्था कायम नहीं रख पाई।
ज्ञापन में मांग की गई है कि जो जन सेवक अपना कर्तव्य निभाने में नाकाम रहे, उनकी पहचान करके कड़ी कार्रवाई हो। दूसरे, राजनीतिक उकसावा देने वालों की पहचान हो, हिंसा के सभी मामले दर्ज किए जाएं। तीसरे, जो भी असली दोषी हैं उनके खिलाफ कार्रवाई हो। यह मांग भी की गई है सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में एसआईटी गठित की जाए जिससे निष्पक्ष जांच हो और जल्दी से जल्दी न्याय मिले।
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