बेंगलुरु-हिंसा से उठते सवाल…

किसी भी सभ्य समाज में मार-काट, उपद्रव, हिंसा, आगज़नी, अराजकता आदि के लिए कोई जगह नहीं होती| ऐसी दुष्प्रवृत्तियों को कदापि स्वीकार नहीं किया...

”परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम……….!”’

”परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम……….!”’सत्य, अहिंसा, करुणा, प्रेम आदि शाश्वत भाव हैं और किसी भी सभ्य समाज में इन मूल्यों को पालित-पोषित करने की...

भारतीय संस्कृति और इस्लाम

भारतीय संस्कृति में ‘सर्वं खल्विदं ब्रह्म’ एवं ‘यत पिंडे तत ब्रह्मांडे’ का महावाक्य प्रतिष्ठित रहा है| इस संस्कृति ने केवल वाणी से ही नहीं,...

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