काश कि इस देश की ललनाएँ लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगनाओं से प्रेरित-पोषित होतीं…!

एक ओर महारानी लक्ष्मीबाई का जीवन-चरित्र तो दूसरी ओर आज की कूल ड्यूड बेबियों की छुई-मुई अदा और नाज़ो-नख़रे! लक्ष्मीबाई के देश की कूल...

क्या महाराजा हरिसिंह के चरित्र के साथ इतिहासकारों ने सही न्याय किया है?

26 अक्तूबर, 1947 का दिन भारत वर्ष के लिए ऐतिहासिक महत्त्व रखता है। इसी दिन जम्मू-कश्मीर रियासत के महाराजा हरिसिंह ने आपातकालीन परिस्थितियों में...

पालघर से लेकर करौली तक, चंडीगढ़ से नांदेड़ तक, मुरादाबाद से मुर्शिदाबाद तक ..साधु-संतों पर हुआ प्रत्येक हमला समाज और संस्कृति पर हमला है।

भारत एक धर्म प्रधान देश है। आस्था एवं श्रद्धा इस देश की प्राणशक्ति है। जड़ से लेकर चेतन तक हमारी आस्था एवं श्रद्धा का...

घाटी के अवाम को क्या चाहिए मजहबी धर्मांधता का अंध कूप या विकास का सुनहला सूरज

जम्मू-कश्मीर की राजनीति के चिर-परिचित प्रतिद्वंद्वी  राजनीतिक शत्रुता भुलाकर कश्मीर में अपनी खोई हुई ज़मीन हासिल करने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रहे...