मुंबई-महाराष्ट्र से निकली आवाज़ें हमेशा देश में गूंजी हैं और नई दिल्ली ने भी पूरी तवज्जो के साथ मुंबई को सुना है। सुशांत सिंह मर्डर केस के चलते एक बार फिर पूरे देश की निगाहें मुंबई पर जमी हुई हैं। D कम्पनी-नेता-मीडिया-ड्रग्स-नेपोटिज्म के गठजोड़ को देश के सामने लाती इस कहानी में तमाम किरदार हैं और उनमें सबसे अहम नाम है कंगना रनौत का। ये वो बहादुर आवाज़ है जिसे पूरा देश तसल्ली से सुन रहा है और इसी के चलते नेता नगरी के नृपु नर्तकों की नाक से पानी निकल रहा है। 


कंगना वाली साफगोई इससे पहले महाराष्ट्र ने तब सुनी थी जब महाराष्ट्र के शेर बाला साहेब ठाकरे हुआ करते थे। देशभक्ति-धर्म-अन्याय के खिलाफ जिस मुखरता से कंगना बोल रही है ठीक वही आवाज़ कभी बाला साहेब की हुआ करती थी। कंगना के साथ आज वही हो रहा है जो कभी बाला साहेब के साथ हुआ करता था और कंगना भी इन माफियाओं के खिलाफ वही कर रही हैं जो हमेशा बाला साहेब किया करते थे। जितने प्रहार मीडिया-नेता-माफिया गठजोड़ मिलकर बाला साहेब पर किया करते थे बाला साहेब भी उतना ही प्रखर जवाब दिया करते थे और आज कंगना रनौत भी यही कर रही हैं।

निश्चित तौर पर अगर आज बाला साहेब होते तो कंगना को आशीर्वाद-दुआ देने वाली आवाज़ों में वे सबसे पहले होते। अगर आज बाला साहेब होते तो मातोश्री से कांग्रेस नहीं कंगना की आवाज़ बुलंद हो रही होती। अगर आज बाला साहेब होते तो इन कार्टून मीडिया वालों को अपनी कलम की धार से तार तार कर देते। अगर आज बाला साहेब होते तो कंगना के जिसके बाप में दम है रोक लो वाले अंदाज़ पर उसे शाबाशी देते। अगर आज बाला साहेब होते तो ड्रग्स माफिया और D कम्पनी के बचाव में नहीं बल्कि उन्हें कुचलने में कंगना को सहारा देते…मगर अफसोस आज बाला साहेब नहीं हैं। आज बाला साहेब नहीं हैं मगर उनकी तस्वीर को लगाकर देश के खिलाफ कूड़ा उगलने वाले ये कौन लोग हैं। बड़ा सवाल ये है कि बाला साहेब के विचारों का आशीर्वाद तो कंगना रनौत के साथ है मगर शिवसेना कंगना का विरोध क्यों कर रही है? बड़ा सवाल है कि जब कंगना बाला साहेब वाली वीरता से माफिया चौकड़ियों की धज्जियां उड़ा रही हैं तब शिवसेना कंगना की तस्वीर पर चप्पल क्यों मार रही है?

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