एक बार फिर से देश की हिन्दू विरोधी ताकतें और उनके सारे आकाओं से हिन्दू त्यौहारों पर तरह तरह के प्रतिबन्ध लगा कर , हिन्दुओं और उनके पारंपरिक उत्सवों का गला घोंटने का काम शुरू कर दिया है। हाल ही में दिल्ली , मुंबई में पहले आतिशबाजी , पटाखों पर सिर्फ दिवाली /छठ तक प्रतिबन्ध लगा कर ये सन्देश देने का प्रयत्न किया है कि प्रदूषण के लिए सबसे अधिक यही ज़िम्मेदार हैं।

अभी इस निर्णय पर कोई प्रतिक्रिया आती इससे पहले ही ममता बनर्जी और उनके परम मित्र केजरीवाल जी ने अपने अपने प्रदेशों में छठ पर्व के आयोजन पर भी प्रतिबन्ध लगाने का फतवा जारी कर दिया | कोरोना काल को कारण बनाते और बताते हुए इन दोनों राज्यों में कोई भी हिन्दू ,बिहारी परिवार सार्वजनिक रूप से न तो छठ मना सकेगा न ही सूर्य देवता को अर्घ्य दे सकेगा।

ममता बनर्जी जिन्हें ‘ जय श्री राम ” का नारा भी अपने कानों में तेज़ाब की तरह चुभता रहा है उनका मुगलिया प्रेम तो अक्सर ही हिन्दू पर्व त्याहारों पर अधिक जाग्रत हो जाता है इसलिए वे बार बार कभी , दुर्गा पूजा पर , कभी दुर्गा पूजा के पंडाल पर और बहुत बार दुर्गा प्रतिमा विसर्जन पर इस तरह के फतवे जारी कर अपना मुग़ल धर्म निभाती रहती हैं।

अब उन्हीं के नक़्शे कदम पर और मुगलिया प्रेम से ही ग्रस्त दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने भी दिल्ली में छठ पर्व के विरूद्ध फतवा जारी कर दिया है।

होली , दिवाली और रक्षाबंधन तक जैसे सनातनी उत्सव जो हज़ारों वर्षों से भारतीय समाज में बहुसंख्यक हिन्दू शान्ति , उल्लास , उमंग और पूरे सौहार्द के साथ मनाते रहे हैं , राजनैतिक विरोध के पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर एक के बाद एक लगातार जिस तरह से उन पर आघात किया जा रहा है , उन्हें कभी पर्यावरण तो कभी जीव कल्याण विरोधी का दोषी बता कर बदनाम किया जा रहा है वो बेहद कुत्सित और घिनौना प्रयास है।

होली पर पानी की बर्बादी का राग ,दीवाली पर पटाखों से प्रदूषण फैलने का स्यापा , और रक्षा बंधन पर गौचर्म के प्रयोग जैसे अनर्गल प्रलापों के बाद अब छठ पर भी कोरोना के बहाने से कुठाराघात करने वाले ये तमाम लिब्रांडू , तमाम छद्म निरपेक्षवादी जिस तरह से एक साथ गोलबंद करके सिर्फ सनातन पर , हिन्दुओं पर , उनके प्रतीकों , मान्यताओं और ये गुरिल्ला हमले कर रहे हैं वो ही इनकी सारी मंशा को स्पष्ट करता है।

चुनावों में मिलती करारी हार और हिन्दुओं का भाजपा के प्रति बढ़ा समर्थन इन्हें इतना अधिक बौखलाए हुए है कि , स्वच्छता और ग्रामीण संस्कृति की परंपरा का गौरवमयी पर्व छठ को सिर्फ इसलिए प्रतिबंधित किया जा रहा है क्यूंकि इन्हें पता है कि हिन्दू मुगलों के विपरीत शांत सहिष्णु और अहिंसक है इसलिए इन्हें कभी दबाया कुचला प्रतिबंधित किया जा सकता है।

विरोधी मानसिकता से ग्रस्त ये सरकारें , ये लोग देर – सवेर , सूर्य देव को भी उगने से मना करने के लिए कोई कानून , कोई फतवा जारी कर दें तो भी हैरानी नहीं होनी चाहिए |

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.