आजकल देश के कई हिस्सों से ये मांग उठने लगी है कि मुस्लिम आक्रांताओं के नाम पर रहे शहरों के नाम बदल दिये जाये। उनके द्वारा तोड़े गए मंदिर वापिस चाहिए। तो बहुत सारे लोग विरोध में भी खड़े हो गए है जिनको बदले हुए नामों से प्यार है। लेकिन ऐसी मानसिकता जहाँ गुलामी से मुहब्बत हो उस पर medical science क्या कहता है?
What is Stockholm syndrome?
Stockholm syndrome is a psychological response. It occurs when hostages or abuse victims bond with their captors or abusers. This psychological connection develops over the course of the days, weeks, months, or even years of captivity or abuse.
आज देश में बहुचर्चित विषय में बात करनी है। आज हमारे देश में कई लोग इस सिंड्रोम का शिकार बन चुके है। स्टॉकहोम सिंड्रोम पद का उपयोग तब किया जाता है जब एक kidnapper किसी को kidnap कर लेता है और उसे torture करता है, तब वही शिकार बनने वाला व्यक्ति उससे (kidnap या torture करने वाले से) प्यार कर बैठता है। एक फिल्म आई थी हीरो जिसमें हीरोइन उसको किडनैप करने वाले हीरो से प्यार कर बैठी। ठीक वैसे ही हमारे देश में बहुत सारे लोगों को इस देश को गुलाम बनाने वाले और इस देश के लोगों पर अत्याचार करने वाले आक्रांताओं से प्यार हो गया है। यहाँ तक की इनके दिए हुए नामों से इतनी मुहब्बत है कि जब नाम बदलने का जिक्र आता है तो उन्हें पेट में दर्द होने लगता है।
आजकल अँग्रेज़ों और मुग़लों को महान बताना और साबित करने की कोशिश करना कि उन लोगों ने ही हिंदुस्तान का विकास किया है और ऐसा साबित करना की वही उनके उद्धारक है। ऐसे लोगों को अपने दिमाग का इलाज करवाना चाहिए। बाकी जिनको बाज़ कि तरह जीने कि आदत है वह सोने के पिंजरे को भी तोड़ देंगे। इसलिए मांग तो उठेगी ही हमारे मंदिर वापिस दो। मंदिरों को सरकारी कब्जे से मुक्त करो। आक्रांताओं पर हमारे गली, नुक्कड़ या शहरों के नाम नहीं चाहिए। ऐसे नाम हमारे देश के लोगों के नाम पर होने चाहिए। जिनको गुलामी करनी है वह करें हम नहीं करेंगे।
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