राष्ट्रीय सवयंसेवक संघ के दर्शन ,उद्देश्य , क्रिया कलाप को रत्ती भर भी न समझ पाने वाले लोग अक्सर विश्व के इस सबसे बड़े स्वैच्छिक और अनुशासित संगठन के प्रति अपना द्वेष और कुंठा इसके बारे में उलटा सीधा बोल कर , झूठ भ्रम फैला कर अपनी सियासत की दुकान सालों से चलाते आए हैं | 

RSS की नीति शुरू से ही बिना प्रचार ,शोर शराबे , श्रेय के चुपचाप अपने ऊपर आए दायित्व का निर्वहन करते चलना | इसी कारण से सोशल नेट्वर्किंग समेत बहुत से अन्य संवाद मंचों पर भी संघ या सम्बंधित लोग ऐसी नकारात्मक बातों कथनों और आरोपों पर कुछ कहने से बेहतर सकारात्मक सामाजिक कार्यों में लगना ज्यादा बेहतर समझते हैं | 

संघ के दर्शन और स्वयंसेवकों के व्यवहार को द्रोही साबित करने के लिए अक्सर ये झूठ बहुत शुरू से फैलाया जाता रहा है और अब भी बार बार बहुत बार ये कह दोहरा कर लोगों के बीच में स्थापित करने का प्रयास होता है कि, संघ के लोग या स्वयंसेवक तिरंगा नहीं फहराते ” | इस पूरे कथन को इस तरह से प्रस्तुत किया जाता है मानो स्वयंसेवकों के मन में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के प्रति कोई सम्मान न होने के कारण ऐसा जानबूझ कर किया जाता है | 

ऐसा कहने वालो की छोटी सोच पर तरस आता है | खुद ही कल्पना करके देखिये वो जो ,जिनकी दिनचर्या की शुरुआत ही सूर्य आकाश धरती पेड़ गाय आदि को प्रणाम करके और इस धरती पर लोट लोट कर होती है , शारीरिक क्रियाकलापों से इतर मानसिक चर्चा में भी श्लोक ,नीतिवचन और मंत्रोच्चारण में भी सनातन भाषा संस्कृत के ही अनुगामी होते हैं ये सब | और बकौल पूर्वाग्रहियों के ऐसे आचरण वाले स्वयंसेवक तिरंगे का सम्मान नहीं करते हैं |

वे शायद ये कहना चाहते हैं की स्वयंसेवक अपनी शाखा में तिरंगा नहीं फहराते | और अगर यही पूछना कहना चाहते हैं तो फिर आपके प्रश्न आपकी जिज्ञासा में ही उत्तर भी मौजूद है | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना , प्रार्थना गीत ,ध्वज ,स्वरूप सब कुछ देश की स्वतंत्रता प्राप्ति से बहुत पहले निर्धारित हो चुका था और आज तक बदस्तूर एक गुरु के रूप में प्रतिष्ठापित भगवा ध्वज भारत और भारतीयों को सही रास्ता और उद्देश्य दिखा रहा है | सनातन संस्कृति ,गौरव और परम्परा का प्रतीक भगवा ध्वज शाश्वत है और सर्व्यव्यापी है हमेशा से |

तो शाखा में तिरंगे ध्वज को फहराने की बाध्यता का प्रश्न उठाने वाले शायद ये भूल जाते हैं कि ऐसे बाध्यता मंदिर , किसी के निजी घर अथवा कार्यालय आदि तमाम संस्थान पर कभी नहीं थी और न ही हो सकती है | मंदिर में , अस्पताल में किसी निजी भवन दफ्तर आदि में तिरंगे को फहराने की कोई बाध्यता नहीं होती है |

अब आइये मूल बात पर और आरोप पर की स्वयंसेवक जानबूझ कर तिरंगे की अनदेखी करते हैं ? कौन हैं ये स्वयंसेवक ? कहाँ से आते हैं और फिर एक घंटे की शाखा के बाद कहाँ चले जाते हैं ? करते क्या हैं ये ? कौन सी सेवा ,कौन से व्यवसाय में हैं ? पहले इन प्रश्नों का उत्तर अपने आप से पूछिए फिर अपने आप ही आपकी जिज्ञासा शांत हो जाएगी | सब के सब इसी समाज के लोग हैं ,हम आप, हमारे आपके ,और हमारे आपके दूर पास के | ये सारी जातियों ,सभी वर्गों ,सभी पेशों से हैं आम भारतीय लोग हैं |

तो फिर जब आम भारतीय हैं तो कैसे कोई ये सोच सकता है कि स्वतन्त्र दिवस और गणतंत्र दिवस पर वो अपने घर अपने दफ्तर अपने साथियों ,बंधु बांधवों ,मातहतों के बीच राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराता होगा ? किस स्वयंसेवक के बच्चे विद्यालय महाविद्यालय में पढ़ने नहीं जाते और राष्ट्रगान और राष्ट्र ध्वज का सम्मान करते हुए शिक्षा नहीं ग्रहण करते |

एक स्वयंसेवक हमेशा के लिए एक स्वयंसेवक हो जाता है | अपने सर्वस्व को देश और भारत भू के लिए अर्पित समर्पित करने वाली भावना से आत्मा के भीतर तक पैवस्त | शाखा के लिए निर्धारित सभी निर्देशों के अनुपालन में पूरा अनुशासन बरक़रार रखते हुए शाखा के अतिरिक्त वो स्वयंसेवक अपने राष्ट्र को परम वैभव तक ले जाने के लिए हर वो राष्ट्रीय दायित्व निभाने को तत्पर रहता है ,जिसकी अपेक्षा हर माता को अपने सपूत से होती है | 

इसलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सोच ,उद्देश्य , क्रियाकलाप , व्यवहार आदि पर छिछली टिप्पणी करने वाले अपनी संकीर्ण बुध्दि और अल्प ज्ञान का ही परिचय देते हैं | संघ के दर्शन को लेशमात्र भी समझ सकने वाला व्यक्ति चाह कर भी इसके विरूद्ध कोई राय नहीं कायम रख सकता और यही वजह है कि जानबूझ कर अलग अलग झूठों और भ्रमों द्वारा संघ को निशाने पर लिए जाने के प्रयास किये जाते हैं | मगर इन सबके बावजूद भी संघ निरंतर बड़ा और सुदृढ़ होता जा रहा है | 

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