विगत 7 मार्च को तेलंगाना के निर्मल जिले के भैंसा शहर में भड़की हिंसा को लेकर अब दो तरह के ऐंगल सामने आ रहे हैं। पहला ऐंगल मोटर साइकिल के साइलेंसर वाला… जिसे मीडिया बता रहा है, वह गलत लगता है।
जबकि दूसरा ऐंगल जो एक तथ्य लगता है, वो बकरियों के बारे में है… ग्राउन्ड रिपोर्ट में पता चला है कि घटना के दिन एक हिंदू परिवार का उनके घर पर छोटा सा उत्सव समारोह था। इस कार्यक्रम के लिए 3 बकरियां भी लाई गई थीं। घटना वाले दिन शाम को लगभग 7:30 बजे कुछ मुसलमानों ने इस घर में घुसकर हंगामा कर दिया कि एक बकरी किसी मुस्लिम परिवार की है और उसने हिंदू परिवार पर चोरी करने का आरोप लगाया… साथ ही उन्हें धमकाते हुए वहां से निकल गया।


लगभग 8:15 बजे पूरा कार्यक्रम बड़े दंगे में बदल गया और कुछ ही मिनटों में, मुस्लिम अपराधियों ने ज़ुल्फ़िकार गली और भट्टी गली में हिंदू परिवारों पर पेट्रोल बम फेंकना शुरू कर दिया। जब पुलिस और पत्रकार घटनास्थल पर पहुंचे तब भी दंगे बंद नहीं हुए…कई वाहन भी जलाए गए.. पुलिस की गाड़ी इस घटना वाले स्थान से गुजर रही थी लेकिन उन्होंने न तो हिंसा को रोकने की जरूरत समझी और न ही अपराधियों को पकड़ने की इस पूरी घटना को प्रभाकर ने कैमरे से शूट किया था। राज न्यूज के एक पत्रकार विजय पर चाकू से हमला किया गया। कई अन्य पत्रकार भी हमले में घायल हो गए। यानी दंगों के दौरान पत्रकारों पर हमला किया गया ताकि वे तस्वीरें और वीडियो न लें।
वहीं 11 मार्च को 4 साल की बच्ची का निर्मल में नाबालिग मुस्लिम लड़के ने बलात्कार किया, रिपोर्ट में बताया गया है कि पुलिस द्वारा पीड़ित के माता-पिता को घटना के बारे में रिपोर्ट न करने और खुलासा न करने की धमकी देने की कोशिश की गई…
साजिश के तहत हुई इस हिंसा और पुलिस के रवैये को लेकर कई सवाल खड़े होते हैं


“ भैंसा जैसे संवेदनशील इलाके में जहां सांप्रदायिक दंगे होते हैं, पुलिस पहले से कार्रवाई क्यों नहीं करती ?
घटना के समय पुलिस को क्यों नहीं दिया गया फ्री हैंड ?

भैंसा में अक्सर किसानों एवं बहुसंख्यक जाति को मुस्लिम टारगेट करते हैं, सरकार और
पुलिस इस पर चुप क्यों ? ”

भैंसा में अक्सर होते दंगे एक पूर्व नियोजित इस्लामिक षड्यन्त्र का हिस्सा हैं… वे हिंदुओं के मन में भय पैदा करना चाहते हैं ताकि हिंदू यहां से पलायन को मजबूर हो जाएँ और यह स्थान यूपी के कैराना जैसे मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में बदल जाए।

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