जब भी कभी कोई क्रांति आंदोलन करना होता है तो शांतिप्रिय समुदाय गांधी और अंबेडकर की तस्वीरों का चोला ओढ़कर इस आंदोलन को करता है मगर गांधी जिन चीजों को सबसे ज्यादा मानते थे और जब उन्हें मानने की बारी आती है तो शांतिप्रिय समुदाय उनसे खुद को अलग कर लेता है। भगवत गीता के प्रति गांधी की आस्था क्या थी यह किसी से छिपा नहीं है और इसी को लेकर गुजरात के तमाम स्कूलों में छठी से बारहवीं कक्षा के बच्चों को भगवत गीता पढ़ाई जानी है इसे लेकर जमीयत उलेमा ए हिंद ने गुजरात हाईकोर्ट में रोक लगाने के लिए याचिका लगाई थी।

गुजरात उच्च न्यायालय ने स्कूलों में भगवद् गीता को प्रार्थना कार्यक्रम और अन्य गतिविधियों में श्लोक पाठ के रूप में प्रस्तुत करने के प्रस्ताव को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को राज्य सरकार को नोटिस जारी किया.

उच्च न्यायालय ने हालांकि इस प्रस्ताव पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और राज्य सरकार से 18 अगस्त तक जवाब मांगा. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष शास्त्री की खंडपीठ ने जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया.

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