हाथरस घटना को जिस तरह से जानबूझकर कांग्रेस और कांग्रेस परस्त मीडिया ने जातीय रंग देने की जोरदार कोशिश की थी, तभी अंदाजा हो गया था कि इसके पीछे साजिश है। अब हाथरस घटना को लेकर एक और बड़ा खुलासा हुआ है। जांच कर रही पुलिस टीम को सुराग हाथ लगे हैं कि हाथरस कांड में भ्रम फैलाने के लिए ट्वीट पाकिस्तान और मध्य एशिया के ट्विटर हैंडल से किए गए। इसके पीछे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार को बदनाम करना मुख्य उद्देश्य था। जांच एजेंसियां अब इसकी गंभीरता से पड़लात कर रही हैं।

 जांच कर रही एजेंसियों का दावा है कि ऐसा प्रदेश की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार को बदनाम करने के लिए सोशल मीडिया पर बड़ी साजिश रची गई थी। घटना को जातीय हिंसा का रंग देने के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से कई झूठे तथ्य प्रचारित किए गए। इसके लिए योगी सरकार को निशाना बनाते हुए बड़ी संख्या में पाकिस्तान और मध्य एशिया के देशों से ट्वीट कराए गए। पुलिस और जांच एजेंसियां अब पता लगाने में जुटी हैं कि क्या इसके पीछे भारत में सक्रिय किसी संगठन की साजिश तो नहीं थी।

सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक इस गहरी साजिश के लिए बाकायदा फंडिंग की गई है। जैसे ही एजेंसियां इस मामले को लेकर सजग हुईं और गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज किए गए उसके बाद उसके बाद बड़ी संख्या में फर्जी एकाउंट्स बंद हो गए और नफरत फैलाने वाले झूठे ट्विट हटा दिए गए। ये ट्वीट देश के अन्य राज्यों के साथ-साथ बाहरी देशों से भी किए गए थे। सोशल मीडिया पर यह प्रचारित किया गया था कि लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ है, उसकी जीभ काट ली गई है और हाथ-पैर तोड़ दिए गए हैं। इसमें से कई तथ्य अभी तक की जांच में गलत पाए जा चुके हैं। हालांकि मामले की जांच अब सीबीआई ने अपने हाथ में ले ली है।

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