चुनाव आयोग ने बिहार में 28 अक्टूबर से 7 नवंबर तक तीन चरणों में चुनाव का ऐलान कर दिया है | पहला चरण का चुनाव 28 अक्टूबर को , दूसरे चरण का चुनाव 3 नवंबर को और आखिरी चरण का चुनाव 7 नवंबर को है | नतीजे 10 नवंबर को आएंगे और हमें पता चल जायेगा की बिहार में नितीश कुमार अपनी सरकार बचा पाएंगे या बिहार को मिलेगा एक नया मुख्यमंत्री |
लालू राज की कहानी
बिहार की राजनीति में में पिछले तीन दसक से JDU और RJD का ही कब्ज़ा रहा है | 1990 से 2005 तक बिहार की राजनीति में लालू यादव का राज रहा | पहले लालू यादव खुद मुख्यमंत्री रहे पर फिर चारा घोटाले में नाम आने से उनको मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और उनकी जगह मुख्यमंत्री बनी उनकी धर्मपत्नी राबड़ी देवी | नब्बे के दसक में बिहार में लालू के लिए नारा दिया जाता था – जब तक समोसे में आलू है, तब तक बिहार में लालू है | पर फिर दौर बदला और 2005 का चुनाव आया, लालू की पार्टी 15 साल से सत्ता में थी और उन्हें अब सरकार विरोधी लहर का सामना करना था और सामने थी मुख्य रूप से JDU और BJP | पर नतीजे आये तो किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था और कोई भी दल सरकार बनाने में नाकाम रही और नतीजा ये हुआ की बिहार में 6 महीनो के लिए राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया | अक्टूबर 2005 में फिर चुनाव हुए और इस बार नितीश कुमार के अगुवाई में BJP-JDU के गठबंधन को स्पस्ट बहुमत मिल चूका था और ख़त्म हो गया था बिहार में 15 साल का लालू राज जिसे विपक्ष गुंडा राज कहकर प्रचार करता था |
नितीश राज की कहानी
अब बिहार को नितीश कुमार के रूप में नया मुख्यमंत्री मिल चूका था और नितीश बिहार में गुंडाराज ख़त्म करने और बिहार को शिक्षित बनाने का वादा करके सत्ता में पहुंचे थे | नितीश ने अपने पहले कार्यकाल में सड़क और शिक्षा पर जोर दिया और इसके साथ ही जातीय समीकरण भी साधते रहे और इसका लाभ उनको 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में मिला भी जब वो बीजेपी के साथ मिलके 243 में 206 सीट्स जीतकर सत्ता में लौटे | 2012 आते-आते दौर बदलने लगा था और बीजेपी में नरेंद्र मोदी का दौर शुरू हो रहा था , वही नरेंद्र मोदी जिनके बारे में नितीश कुमार ने एक कार्यक्रम में कहा था की मेरी दुआ है की आपकी सेवाय एक दिन दिल्ली को भी मिले पर अब दौर बदल चूका था और नितीश कुमार और मोदी के बीच दूरिया आ चुकी थी | जब बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को अपना प्रधानमंत्री पद का दावेदार घोसित किया तो नितीश कुमार बीजेपी से अलग हो गए और 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में JDU 40 में से मात्र 2 सीट ही जीत सकी और नितीश कुमार को समझ आ गया की वो अकेले मोदी से मुकाबला नई कर पाएंगे , और फिर वो हुआ जिसकी बिहार में कोई कल्पना भी नई कर सकता था , 2015 के विधानसभा चुनाव से पहले मोदी का मुकाबला करने के लिए लालू और नितीश एक हो गए और इसको नाम दिया गया महागठबंधन जिसका फ़ायदा भी उनको मिला और 2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन विजयी रहा पर ये गठबंधन 20 महीने ही चल सका और नितीश 2017 में फिर एक बार बीजेपी के साथ आ गए |
इस बार का बिहार चुनाव इसलिए भी अलग है क्यूंकि लालू जेल में है और और उनकी पार्टी की कमान उनके छोटे बेटे तेजश्वि यादव संभाल रहे है और नितीश अपने 15 साल की तुलना लालू राज के 15 साल से करके वोट बटोरने की तैयारी कर रहे है पर इन सबके बीच बीजेपी भी अपनी सम्भावनाये खोज रही है | तो देखते है इस बार बिहार की राजनीति कौनसा नया मोड़ लाती है|
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