बिहार के पूर्णिया जिले के बायसी थाना के खपड़ा पंचायत के मझुवा गाँव में मुस्लिम भीड़ ने न सिर्फ महादलित बस्ती के 15 से अधिक घरों को आग के हवाले कर दिया बल्कि बस्ती के चौकीदार की पीट-पीट कर हत्या कर दी। वारदात की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुँची और दमकल की मदद से आग पर काबू पाया गया। मिली जानकारी के मुताबिक़, भीड़ ने कई महिलाओं और दलितों के साथ बेरहमी से मारपीट की. इस पूरी वारदात में गांव के कई लोग घायल हुए हैं।
इस घटना को लेकर हिंदू संगठनो में आक्रोश व्याप्त है। आखिर गर्भवती महिला के साथ मारपीट और बुजुर्ग का क़त्ल किस मनोदशा के आधार पर किया गया है। बड़ा सवाल उठता है कि दलितों के कथित पैरोकार अब किस सेक्युलर बुरके में घुस गए हैं। इसके अलावा कहा यह भी जा रहा है कि AIMIM विधायक के दबाव में पुलिस आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं कर रही है, सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत पटेल ने अपने ट्वीट में लिखा, पूर्णिया में अनुसूचित जाति की बस्ती को शांतिदूतों द्वारा जलाकर राख कर दिया गया है। 4 दिन बीतने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। स्थानीय MIM विधायक के दबाव में पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है।
बड़ा सवाल यह भी पूछा जाना चाहिए कि कथित भीम आर्मी और दलितों के सेक्युलर ठेकेदार जो ‘जय भीम जय मीम’ की बातें करते हैं अब वह किस सेकुलर बुर्के की आड़ में छिप गए हैं? आखिर क्या महा दलितों के ऊपर हुआ उनको यह हमला दिखाई नहीं देता है? हम तो कहेंगे कि उन्हें दिखाई बेशक दे रहा है मगर वह जानबूझकर इस मुद्दे पर अपनी आंखें मूंद रहे हैं।
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