आज हम फिर से उसी दौर में है जब हमारे पास सिर्फ २ विकल्प थे,
मुस्लिम लीग जिसने एक अलग मुस्लिम-बहुल राष्ट्र-राज्य, पाकिस्तान की स्थापना के लिए इसकी मजबूत वकालत ने 1947 में ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा सफलतापूर्वक भारत का विभाजन किया।
दूसरी इंडियन नेशनल कांग्रेस,
जिसने सेक्युलर ( मुस्लिम अपीसमेंट) को सब से जायदा इस्तेमाल किया,
अभी INC मुस्लिम लीग बन चुकी है
और बीजेपी पर भी सेक्युलरिज्म ( मुस्लिम अपीसमेंट) का खुमार चढ़ा हुआ है और यह कांग्रेस २.० बन रही है
जो हिंदू होने पे गर्व कर रहा हैं उसको दबाने और सदभाव का ज्ञान देना शुरू हो जाता है
बीजेपी IT cell अपना ध्येय भूल चुके है , वो उन्हीं मुद्दों पर अपना ज्ञान देते है जिनपर वो खुद सत्ता में आए थे कुछ हद से जायदा टट्टी फैक्ट चैकर अपनी विचारधारा को दिखाने लगते है,
और बाकी पार्टी बस ये दिखाने में व्यस्त है की IT cell तंत्र सिर्फ बीजेपी की खोज है , उनका अपना कोई IT cell नहीं है
आम आदमी पार्टी से कुछ फिल्मी उम्मीद जगी थी , सत्ता में आने पर वो भी इन्ही कुछ बने बनाए तरीको पे चलना शुरू कर दिए, अब लगता है की मुस्लिम अपीसमेंट पॉलिसी पर सिर्फ़ और सिर्फ़ इन्हीं का अधिकार है, फ्री फ्री पॉलिसी से इन्होने भारतीय राजनीति की एक और न्यूनतम स्तर को जगजाहिर करके दिखाया है,
ले दे कर एक हम सबकी उम्मीद पर खरा उतरे है , योगी महाराज ,
जितनी घृणा विपक्ष इनसे करता है उतना डर का माहौल केंद्र सरकार में भी है की ये सब से योग्य शासक बनने का माद्दा रखते है , और एक मजबूत चेहरा है जिसको परम ज्ञानी परम पूज्य और बीजेपी IT cell के लिए विष्णु के अवतार मोदी जी के समकक्ष देखा जाने लगा है,
जब बात हमारे अस्तित्व की होती है तो कुछ ही लोगो से उम्मीद मिलती है , जब बात अपनी कही जाती है तो बीजेपी IT cell देशद्रोही और बाकी सब भक्त कह कर आप की बात की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर देती है
अब क्या फिर से हमें एक नई बीजेपी २.० की तलाश करनी चाहिए या फिर उसी इतिहास को दोहराते हुए देखना चाहिए , क्या यह सत्य नहीं है की चाहो या ना चाहो लोकतंत्र के नाम पर ये खिलवाड़ जारी रहने वाला है
एक स्वर्णिम अतीत की परंपरा से निकला हुआ एक योगी, जो शायद ही किसी विचारधारा से प्रभावित हो, जो धर्म को सच में धारण करता हो, सिर्फ हिन्दू होने पर गर्व करता हो , जिसने एक राज्य जो की हत्या, बलात्कार, दंगो, और न जाने कितने नकारात्मक शब्द हमने उस राज्य के नाम से जुड़ते हुए देखा हो उसकी कायाकल्प करने में अनुमानित समय से काफी कम लगाया है,
हां मैं उस राज्य की बात कर रहा हु जहा ब्रेकिंग न्यूज तय करती थी कहा दंगे होने की सबसे जायदा संभावना है , जहा से अराजकता की नई नई परिभाषा निकल कर आती थी , और मुस्लिम अपीसमेंट का सब से नंगा नाच जहां तहां होता आया है
“उत्तर प्रदेश” ! अगर एक खास प्रकार की विचारधारा से ओत प्रोत होंगे तो नही देख पाओगे परंतु मेरे उमर के नौजवानो जिसने एक डर देखा हैं, रात को निकलने का , कही भी दंगे होने का , आप का धर्म पूछे जाने का , न्यायपालिका में भी धर्म देखे जाने का , आप के नाम के पीछे लगा आपका उपनाम तय करेगा की आप को सजा होनी है या आप वापस मान हानि का मुकदमा चला सकते हो , ऐसे कई छोटी छोटी मगर मोटी बाते देखी होगी वो शायद समझ सकता है की उत्तर प्रदेश पिछले कुछ सालों में कहा से कहा पहुंच चुका है एक योगी आदित्यनाथ जैसा व्यक्तित्व , क्या हमे ऐसे व्यक्तित्व और नहीं मिल सकते!
क्या हमारी संस्कृति इतने क्षीण है की एक मठ हमें सिर्फ एक ही योगी दे सकता है , क्या ये दोगलापन नही की हम एक-दो फर्जी साधु के कारण हमारे स्वर्णीम तंत्र से निकले हर साधु की विश्वनीयता पर सवाल खड़े करें,
अंत में बस ये ही एक आत्मचिंतन के साथ बात छोड़ रहा हूं के जिस तरह एक बहुसंख्यक समाज अल्पसंख्यक समाज की अपीसमेंट (तुष्‍टीकरण) राजनीति सहन करते करते अपने हक को मांगने में शर्म महसूस करने लगा है क्या यह जारी रहना चाहिए , और अगर नही तो क्या हमे हक़ नहीं हैं की हम ही तय करे कि सत्ता में कौन जाए कौन नहीं,

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