सनातनी त्योहार केवल त्योहार नहीं है, बल्कि ये देश की अर्थव्यवस्था को ऊंची उड़ान देने का एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं। गरीब हो या अमीर या फिर मिडिल क्लास सभी सनातनी अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार त्योहार मनाते हैं. हमारे पर्व-त्योहारों के समय हमारे देश की अर्थव्यवस्था भी हिलोरे मारने लगती है. वहीं दूसरी तरफ हमेशा से भारतीय बाजारों पर नजर गड़ाए बैठे चीनी मार्केट को भी झटके पर झटके देने का काम करती है. अब देखिए ना इस बार रक्षाबंधन के मौके पर “बॉयकॉट चाइना” आंदोलन ने जोर पकड़ लिया है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के अनुसार, रक्षा बंधन से दिवाली तक में लगभग भारतीय डीलरों के लिए रु. 3 लाख करोड़ का चौंका देने वाला राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है। रिपोर्ट के मुताबिक दिलचस्प बात यह है कि स्वदेशी वाणिज्य में यह उछाल लगभग चीन के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के पर्याप्त नुकसान में भी तब्दील होता है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस वर्ष महिलाएं चीनी राखियों की तुलना में भारत में बनी राखियों को ज्यादा पसंद कर रही हैं। जिसकी वजह से स्थानीय व्यापारी भी चीनी राखियां बेचने से दूरी बना रहे हैं और साथ ही भारत में बनी राखियों की बिक्री को बढ़ावा दे रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक रक्षा बंधन के दौरान देश में सालाना 50 करोड़ राखियाँ बेची जाती हैं।
CAIT के नेतृत्व में “बॉयकॉट चाइना” आंदोलन ने इस बदलते परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 2020 से, CAIT भारतीय उद्योगों और व्यवसायों की सुरक्षा के उद्देश्य से चीनी उत्पादों से परहेज को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहा है। कई रिपोर्टों से पता चलता है कि अकेले पिछले वर्ष छुट्टियों की बिक्री में चीन को लगभग 75 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
दरअसल पूरी दुनिया में भारत ही ऐसा देश है जहां पूरे वर्ष पर्व-त्योहार मनाये जाते हैं। भारत ऐसा देश है जहां फसलों की कटाई को लेकर भी उत्सव मनाया जाता है और वर्षा ऋतु और पूर्णिमा का स्वागत करने के लिए भी यहां पर अलग-अलग त्योहार मनाए जाते हैं।
हमें ये समझना होगा सनातनी त्योहार और अर्थव्यवस्था का गहरा संबंध है. सनातनी त्योहारों के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था उड़ान भरती है। सनातन धर्म ने एक ऐसा चक्र बनाया है जिसमें एक धनी से लेकर कम धनी और निर्धन परिवार भी त्योहार धूमधाम से मना लेता है. इसलिए आइए आने वाले सभी त्योहारों में चीनी मार्केट का बॉयकॉट करें और अपने देश में बनने वाली चीजों की ही खरीदारी करें.
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