तनिष्क कंपनी ने बहुत चालाकी से एक हिंदू बहू को दूसरे मजहब के घर में बहू के तौर पर दिखाया है, सेकुलरिज्म के तमाम झंडाबरदार इस विज्ञापन को आपसी भाईचारे की मिसाल देकर बखूबी बता रहे हैं। मगर सवाल यह उठता है कि जिस घर में उस हिंदू बहू को दिखाया गया है उस घर में बाकी की बहू कहां हैं? 
मध्यवर्गीय हिंदू परिवार का माहौल दिखा कर आने वाले त्योहार के समय को तनिष्क कंपनी ने भुनाने की कोशिश की है, मगर ‘लव जिहाद’ की कपट की भट्टी में तनिष्क कंपनी की यह मंशा खुद ही जलकर खाक होती दिख रही है। तनिष्क कंपनी ने मध्यवर्गीय घर में जिस सोशल हारमोनी का माहौल दिखाया है वह कहीं ना कहीं हिंदू संस्कारों से प्रेरित है, क्योंकि अमूमन मुस्लिम घरों में इतने कम लोगों में और इतने अच्छे माहौल में आयोजन नहीं होते हैं। 


जाहिर है मार्केटिंग कंपनी ने जिस तरह से हिंदू मनोभावों को पकड़ने के लिए एक सभ्य माहौल दिखाने की कोशिश की है और उसपर लड़की को मुस्लिम परिवार की बहू दिखाकर प्रोपेगेंडा की लकीर को और गाढ़ा किया है। गौरतलब है कि तनिष्क कंपनी ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है मगर तनिष्क कंपनी की यह चालाक चुप्पी भारत की जागृत जनता के धारदार सवालों से नहीं बच सकती। 

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