आइए…जानिए, कॉमन मैन से बने एड मैन की जनता के साथ धोखे की कहानी…।।
पिछले सात-आठ वर्षों से जब जन लोकपाल के लिए आंदोलन हुआ दिल्ली में लाखों की संख्या में सामाजिक कार्यकर्ता व आंदोलनकारियों के रूप में देश में एक सकारात्मक पहल की ओर अग्रसर करवाने हेतु दिल्ली की जंतर मंतर में इकट्ठा हुए तब अन्ना हजारे के नेतृत्व में पहली बार देश का आम व्यक्ति इस आंदोलन से जुड़ा और पहली बार देश के आम व्यक्ति ने भले ही वह आंदोलन में शामिल हो पाया या नहीं हो पाया लेकिन ख्वाब देखा और एक ऐसा ख्वाब देखा हिंदुस्तान की राजनीति में एक नया बदलाव लाकर रख देंगे और उसी अन्ना हजारे के आंदोलन में से राजनीतिक दल के रूप में बाहर निकल कर आए अरविंद केजरीवाल जो कि आईआईटी हैं इनकम टैक्स कमिश्नर रह चुके हैं उस समय बेदाग और साफ छवि के रूप में लोगों ने अरविंद केजरीवाल को स्वीकार किया सिवाय झूठे वादे और सिवाय झूठी स्कीमों के कुछ नही दिया, अब आज जब कोरोना काल चल रहा है तब झूठ का पुलिंदा बने अरविंद केजरीवाल ने पहले दिन से जनता को बरगलाया और विज्ञापन के जरिए टीवी और अखबारों में आकर कहा कि दिल्ली को किसी मदद की जरूरत नहीं है दिल्ली में प्रयाप्त संसाधन है दिल्ली खुद सक्षम है पर हुआ इसका उल्टा, 1400 करोड़ विज्ञापन में खर्च किए केवल यह बताने के लिए कि दिल्ली सुरक्षित है केजरीवाल सरकार पिछले छह 7 वर्षों में ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा के लिए व्यवस्था खड़ी नहीं कर सकी और स्थितियां इस प्रकार बिगड़ी कि आज अरविंद केजरीवाल सरकार को हिंदुस्तान के प्रत्येक राज्य में वहां के स्थानीय अखबारों में विज्ञापन देना पड़ रहा है कि कोई ऑक्सीजन टैंकर हो तो दिल्ली सरकार से संपर्क करें लोकतंत्र की परिपाटी में यह एक बहुत बड़ा दुर्भाग्य है कि जनता जिसे चुनती है जिस से उम्मीद करती है वही नेता समय आने पर अपनी पीठ दिखा देता है
अरविंद केजरीवाल की राजनीति नकारात्मक विषयों को उठाने तथा केंद्र सरकार के कार्यों पर सवाल उठाने तथा केंद्र सरकार की नीति और नियमों के खिलाफ कार्य करने को लेकर हमेशा जिंदा रही है इसी केजरीवाल सरकार ने मौका मिलने पर अंबानी अदानी और टाटा ग्रुप को बदनाम करने में कोई कमी नहीं छोड़ी परंतु यह समय की नजाकत ही समझिए कि आज वहीं अरविंद केजरीवाल दोनों हाथ जोड़कर अंबानी अदानी और टाटा ग्रुप से मदद की गुहार लगा रहा है हां यह एक अलग बात है कि यह कंपनियां बिना किसी भेदभाव के पूरे भारत में मदद के लिए आगे आ रही है मुख्यमंत्रियों की अगर बात करें तो उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक जो कि बिल्कुल भी विज्ञापन और दिखावे में भरोसा नहीं रखते हैं उन्होंने पिछले दिनों में पूर्वोत्तर राज्यों में करीबन 14 मेट्रिक टन ऑक्सीजन की पूर्ति की है जिससे लगभग लगभग 60000 मरीजों को राहत मिली है लेकिन इस बात की उड़ीसा सरकार ने कहीं भी सार्वजनिक प्रचार नहीं किया कहीं भी हिंदुस्तान की जनता को इस बात का एहसास नहीं कराया कि हमने मदद की है यह नवीन पटनायक का बड़प्पन है जो उनके प्रति सम्मान को बढ़ावा देता है कि किस प्रकार से जब देश पर संकट आया तब केंद्र सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हो गए ना कि अरविंद केजरीवाल की तरह जब प्रधानमंत्री जी खुद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हिंदुस्तान के मुख्यमंत्रियों से वार्तालाप कर रहे हो तब अरविंद केजरीवाल अलग-अलग मुद्राओं में इस प्रकार से एहसास करा रहे थे जैसे उन्हें इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कोई लेना देना नहीं है उनका बॉडी लैंग्वेज उनकी दिल्ली सरकार की कुर्सी के प्रति अपना को दर्शा रहा था उसके बाद में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के मुख्य चर्चाओं के अंश को सार्वजनिक कर देना कहीं ना कहीं अरविंद केजरीवाल का बचपना दर्शाता है मुख्यमंत्री के नाम से कॉमन मैन बनकर जनता के बीच आए अरविंद केजरीवाल अब महज एड मैन बनकर रह गए हैं जिन्हें जनता से कोई लेना-देना नहीं है जिनका मुख्य कार्य केवल और केवल प्रचार प्रसार करना है टेलीविजन जगत का कार्टून चैनल को छोड़कर बाकी किसी भी चैनल को अरविंद केजरीवाल ने नहीं छोड़ा है जिसमें अरविंद केजरीवाल का विज्ञापन ना चलता हो
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