बिहार में सुशासन और विकास के दावे के बीच दम तोड़ते सिस्टम की एक ऐसी शर्मनाक तस्वीर सामने आयी है जिसे देख कर आपके आंसू नहीं रुक पाएंगे, मामला बिहार के मुजफ्फरपुर जिले का है. जहां रोते-बिलखते लाचार और बेबस पिता के कंधे पर है इसके 7 साल के बेटे का शव, विकास के खोखले दावे करने वाले सिस्टम ने एक बाप की गोद सूनी कर दी.
पिता का कहना है कि बच्चे के गले में लीची की गुठली फंस गयी थी , जिसे निकलवाने के लिए जब वो अस्पताल पहुंचा तो बच्चे को देखने के बजाय वहां के डॉक्टर और कर्मचारी उसे दौड़ाते रहे. अस्पताल वालों का कहना था कि पहले कोरोना की रिपोर्ट लाओ तब जाके तुम्हारे बच्चे को देखेंगे , लेकिन लाचार पिता कोरोना की रिपोर्ट नहीं ला सका , आखिरकार इलाज न हो पाने की वजह से बच्चे की मौत हो गयी। और स्वास्थ्य महकमा सोता ही रहा .
सवाल ये कि अस्पतालों में जो नियम बनाये गए हैं क्या वो किसी बच्चे की जिंदगी से ऊपर है , अगर थोड़े देर के लिए इंसानियत के नाते ही बच्चे को प्राथमिक इलाज मिल जाता है तो शायद एक परिवार में मातम नहीं छाया होता . बहरहाल सवाल तो यह है कि आखिर स्वास्थ्य महकमा इतना गैर जिम्मेदार क्यों है? क्या सूबे के मुखिया और स्वास्थ्य विभाग को ऐसे अस्पताल और डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करनी चाहिए ?
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