विकास दुबे एनकाउंटर के बाद से दबे शब्दों में ही सही पर उत्तर भारत , खासकर उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से ब्राह्मणवाद की राजनीति को हवा दी जा रही है | हालांकि खुल के समर्थन नहीं मिल रहा है , फिर भी कोशिश जारी है |

पर उत्तर प्रदेश की राजनीति में ये कोई नयी बात नहीं हैं |

 

बात अगर नब्बे के दशक की करें तोतिलक , तराजू और तलवार , इनको मारो जूते चारजैसे नारे बसपा ने लगाए थे | अब इसमें तिलक का मतलब बड़ी आसानी से समझा जा सकता है | समय बलवान होता है , कुछ सालों बाद वही बसपाब्राह्मण शंख बजायेगा , हाथी दिल्ली जाएगाके नारे लगाने लगी | पहले वाले नारे का फायदा भी उठाया एक तरफ के वोट लेकर और दूसरे वाले नारे का भी दूसरे तरफ का वोट लेकर | २०१६ आते आते तो बसपा सुप्रीमो ने यहाँ तक कह दिया की तिलक तराजू जैसे नारे कभी उनकी पार्टी ने लगाए ही नहीं |

धर्म निरपेक्षता और सबको समान भाव से देखने वाली कांग्रेस और उसके पचास वर्षीय युवा नेता राहुल बाबा , भी बीते कई सालों से मंदिर पर्यटन बहुत कर रहे हैं | २०१७ के उत्तर प्रदेश चुनावों में उनके नाम के आगे पंडित भी लगा दिया गया | कुछ अफवाहें भी थीं की वो किसी ब्राह्मण कन्या से शादी भी करने जा रहे हैं , पर वो बाद  में गलत साबित हुईं | इन्हीं चुनावों में सपा से गठजोड़ होने से पहले कांग्रेस जब२७ साल यूपी बेहालके नारे के साथ उतरी तो दिवंगत नेता शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बताया | यहाँ भी यही खेल था , पर बाद मेंखाट पर चर्चाजैसे सुनहरे कार्यक्रम फ्लॉप हुए तो तो सपा से गठजोड़ किया , पर नतीजा वही ढ़ाक के तीन पात | २०१९ लोकसभा चुनाव में भी यही करने की कोशिश रही कांग्रेस की | खबरें तो यहाँ तक हैं की २० के करीबलिबरलमीडिया कर्मियों ने बाकायदा बनारस में कैम्पिंग की थी प्रियंका गाँधी के लिए माहौल बनाने में | पर जब हकीकत पता चली , तो ये कहकर काम चला लिया गया की प्रियंका गांधी का चुनाव न लड़ना , भाजपा और खासकर मोदी जी के लिए खतरा है | पर असलियत सामने ही गयी |

समाजवादी पार्टी भी इस मामले में पीछे नहीं रही | कृष्णसुदामा को लेकर गए | बोले शंख और साइकिल साथ साथ चलेंगे | पर उनपर ज्यादा कृपा हुई नहीं | वैसे २०१७ और २०१९ में समाजवादी पार्टी के गठबंधनों ( कांग्रेस और बसपा क्रमशः) ने उन्हें सबसे ज्यादा चोट पहुंचाई |

भाजपा के साथ भी ब्राह्मण वोट आता जाता रहा | ९० के दशक में ही जब भाजपा ने मंदिर का मुद्दा जोर शोर से उठाया , तो पूर्ण बहुमत की सरकार तक बनायी , पर जब विवादित ढांचे को गिराया गया और कल्याण सिंह ने पद त्याग दिया तो ना केवल उत्तर प्रदेश , बल्कि आस पास के राज्यों की सरकारें चली गयीं | मंदिर आंदोलन पर ब्राह्मण वोट लेने का आरोप सुनने वाली भाजपा , पता नहीं इसके बाद क्यों हार गयी | दुबारा पूरा बहुमत पाने में दशकों लगे |

पिछले चुनावों से भाजपा को बड़ी मात्रा में ये समर्थन मिलता आया है इसीलिए हर तरीके से ब्राह्मणों पर आक्रामक रह चुके दल आज इस वोट बैंक को लुभाने में लगे हैं | भले ही भूत में इन्होने जनेऊ का विरोध किया हो , जनेऊ जलाने की कसमें खाने वालों के नाम पर सड़कों के नाम रखे हों , या उन सड़कों के नाम बदलने पर दुःख जताया हो , कभी स्वास्तिक पर झाड़ू के हमले वाली फोटो ट्वीट की हो या फिर राम मंदिर के खिलाफ कोर्ट में केस लड़े हों या कारसेवकों पर गोली चलाई हों : आज सबको वोट के नाम पर ये वर्ग याद रहा है | भगवान् परशुराम पर गलत बातें बोलने वाले भी जय परशुराम बोल रहे हैं (वैसे जय बोलने का स्वागत है ) |

भगवान् परशुराम से ही याद आता है की उन्होंने शक्ति और विद्वता के साम्य की वकालत की थी | इसलिए ब्राह्मणों को शास्त्र के साथ शस्त्र सीखने के लिए भी कहा था |वर्तमान युग कलियुग के साथ साथ लोकतंत्र का भी युग है , वोट सबसे बड़ा शस्त्र है अब , और पूरी उम्मीद है , बीते दसियों सालों की बातें ध्यान में रखते हुए , शास्त्रों को पूजने वाले , भगवान् परशुराम के वंशज , किसी के बहकावे में आये बिना,  अपनी वोट की ताकत का सही उपयोग करते रहेंगे |

भगवान् परशुराम सम्पूर्ण मानवता का भला करें !!!

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