ट्विटर और फेसबुक पर कुछ लिख कर नकारात्मक लोकप्रियता हासिल कर रातों रात कुख्यात होने की ललक इन दिनों आम लोगों से ज्यादा तो उन वर्दी वाले कर्मचारियों अधिकारियों को हो गई है जो अपने सेवाकाल में अपने किए गए उत्कृष्ट कार्यों /अपने दायित्व का निर्वहन कर के अपने महकमे , प्रशासन ,समाज और देश का नाम ऊँचा करने की बजाय इससे इतर कहीं वीडियो बना कर तो कहीं ट्विट्टर फेसबुक पर टीका टिप्पणी करके अपनी कुंठा निकाल रहे हैं।
कुछ महीनों पहले ऐसे ही गुजरात की एक सुरक्षा कर्मी सुनीता ने एक वीडियो बना कर सनसनी फैला दी थी और रातों रात सबकी सहानुभूति बटोरने का ओछा प्रयास किया , बाद में खुद ही अपनी करनी की सारी पोल पट्टी खुलने पर सबसे बचती छुपती फिरने लगीं | आज शायद ही किसी को उनका नाम और करनी याद हो।
आज अचानक से भारतीय पुलिस सेवा की एक अधिकारी का नाम सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर वायरल हो गया है और फेसबुक ट्विट्टर पर लोग उनके पक्ष और विरोध में लगातार बोल लिख रहे हैं।
रुपा नाम की भारतीय पुलिस सेवा की अधिकारी की चर्चा आखिर सोशल मीडिया में हो क्यों रही है ? अपने क्षेत्र में अपराध को ख़त्म करने के लिए ? किसी साहसिक कार्यवाही के लिए ? कोई नया प्रयोग ,किसी नए विचार को लागू करके जनसेवा करने के लिए ? पुलिस महकमे को अपने किसी वीरतापूर्ण कृत्य से गौरवान्वित करने के लिए ? अपने फ़र्ज़ के प्रति अपनी निष्ठा और प्रतिबद्धता जताने के लिए ?
काश , काश कि इनमें से कोई वजह होती लेकिन नहीं वजह तो कुछ और ही निकली वो भी इतनी अप्रत्याशित और अनअपेक्षित कि सुन कर ही हैरानी और दुःख हो। असल में इन महिला अधिकारी ने अपने ट्विट्टर हैंडल से ट्वीट करते हुए दीपावली पर पटाखों के प्रतिबन्ध को उचित ठहराया। जाहिर सी बात है इसमें किसी को क्या आपत्ति हो सकती है और हो भी तो इससे कानून की सेहत पर क्या असर पड़ने वाला था ?
लेकिन मैडम सर ने इसमें तड़का और छौंक लगाते हुए ये भी लिख दिया कि दीपावली पर पटाखों को जलाने की बात कोई हिन्दू ग्रंथ /पुस्तक नहीं करता। अब यही तो खासियत है सोशल नेट्वर्किंग साइट्स की जहां आप प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक से सीधा संवाद स्थापित कर सकते हैं।
सनातन और हिन्दू धर्म के तथ्यात्मक जानकारियों वो भी साक्ष्य सहित साझा करने वाले एक ट्विट्टर हैंडल ने तुरंत ही उन्हें जवाब देते हुए साक्ष्य सहित उत्तर दिया कि अमुक अमुक ग्रन्थ में न सिर्फ इसका उल्लेख है बल्कि स्पष्टतया इसका वर्णन भी है।
बस यही एक वो भूल वो दुःसाहस था जो उनके पुलिसिया अहम् को ठेस पहुंचा गया , लगातार एक दूसरे की बात को तर्कों और तथ्यों से उत्तर प्रतिउत्तर का ये सिलसिला ट्विटर पर घंटो तक चलता रहा और आखरिकार जब मैडम सर जी को ये लगने लगा कि अब उनके तर्क और साक्ष्य ख़त्म हो चुके हैं तो उन्होंने अपनी पुलिसिया हनक और ताकत के प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए बाकयदा उसे धमकाते हुए ट्विट्टर से शिकायत कर उस हैंडल को सस्पेंड करवा दिया।
अब बात नियम कायदों की। जिस टिवटर प्रशासन से शिकायत कर ये कार्रवाई की गई उस ट्विटर को खुद भारत सरकार ने अभी कुछ दिनों पहले भारत का गलत नक्शा जानबूझ कर दिखाने के लिए कारण बताओ नोटिस मिला था और वो खुद अपना वजूद बचाने के लिए माफ़ी माँगता फिर रहा था।
जिन नियम कानून कायदे की दुआई और उसके अनुपालन की बात कह कर मैडम सर जी ने ये कार्रवाई की और करवाई ,वे थोड़ी देर के खुद शायद ये भूल बैठीं की , बतौर एक सरकारी सेवक वे स्वयं उन नियम कायदों के प्रति ज्यादा प्रतिबद्धित हैं।
वर्दी धारी पुलिस ,फ़ौज , चिकित्सक की सेवा और सम्पूर्ण निष्ठा और अपना सारा समय न सिर्फ जनसेवा और लोगों की सुरक्षा /संरक्षण के लिए समर्पित होना अपेक्षित है न कि टिवटर पर किसी की या किन्हीं की भावनाओं को उकसाने वाले शब्दों को लिखना और फिर उससे उलझ कर घंटों खुद के अहम् को संतुष्ट करना।
जो भी हुआ वो दुर्भाग्यपूर्ण था लेकिन उसके प्रतिफल में जो आचरण किया गया वो कहीं अधिक अफोसनाक और गंभीर बात है , काश की वे ये बात समझ पातीं की देर सवेर वो ट्विट्टर हैंडल वापस तो आ ही जाएगा लेकिन इस सारे प्रकरण में , पुलिस सेवा और खुद उनकी जो किरकिरी हुई और हो रही है क्या उससे बचा जा सकता था या क्या वो अब वापस आ पाएगी ??
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