अपने पिछले ब्लॉग में मैंने आपको बताया की लव जिहाद क्या है, क्यों है और इसका निदान क्या है। आज हम एक और गंभीर विषय पर बात करेंगे, “ज़मीन जिहाद” एक ऐसा जिहाद जिसमे अवैध रूप से ज़मीन पर कब्ज़ा किया जाता है और उस ज़मीन का इस्तेमाल समय आने पर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में किया जाता है।

प्रारूप

ज़मीन जिहाद के अनेक प्रारूप हम देख सकते हैं जिनमे प्रमुख है मज़ार बना देना, प्रायः निर्जन स्थानों पर मिटटी के ढेर से इसकी शुरुवात होती है, इस मिटटी के ढेर पर हरे झंडे लगा दिए जाते हैं, फिर उस मिटटी के ढेर को पक्का बना दिया जाता है, इस पक्के बने मिटटी के ढेर पर गुरुवार के दिन अगरबत्ती सुलगानी शुरू हो जाती है, पहले वहां वो लोग जिन्होंने इसे बनाया है अपने लोगों की भीड़ लगा कर पूजा जैसे दिखने वाले क्रियाकलाप शुरू करते हैं और बाद में झूठी कहानी गढ़कर लोगों को यहाँ लाया जाता है, हिन्दू इतने बड़े मुर्ख हैं की वो इन पाखंडियों की बातों में आ जाते हैं और न केवल स्वयं बल्कि धीरे धीरे अपने परिजनों और सम्बन्धियों को लाना आरम्भ कर देते हैं। बड़ी मात्रा में चढ़ावा चढ़ाते हैं बिना ये सोचे की इस पैसे से वो न केवल अपने बच्चों बल्कि देश के लिए कितना बड़ा गड्ढा खोद रहे हैं। अगर आप ध्यान दें तो महामार्गों के किनारे, रेलवे स्टेशन, बस अड्डों के पास और अनेक प्रमुख स्थानों पर आपको बहुतायत में मज़ारें दिखाई दे जाएंगी, क्या कभी आपने सोचा है की विषम परिस्थितियों में महामार्गों को काटने, रेल यात्रा प्रभावित करने और अराजकता फैलाने में किस प्रकार इनका प्रयोग किया जा सकता है, जी हाँ इन्हे बनाने का मूल उद्देश्य यही है, महामार्गों या अन्य विशिष्ट स्थानों से सेना पुलिस या अर्धसैनिक बलों की गतिविधियों पर इनके द्वारा नज़र रखी जाती है। ध्यान रहे मज़ार इस्लाम में हराम है, पर मज़ार में बैठा हर रखवाला मुसलमान ही होता है।

आपने शायद ध्यान न दिया हो पर, मार्ग रोककर नमाज़ पढ़ना, पार्कों में अचानक शुक्रवार को सामूहिक नमाज़ शुरू हो जाना, गैर मुस्लिम इलाकों में मस्जिदों का कुकुरमुत्तों की तरह निरंतर बढ़ते जाना, आपके बच्चों की परीक्षाओं के समय मस्जिदों के लाउड स्पीकर का तेज़ हो जाना, बेवक़्त तक़रीरें होना, आपके मंदिरों पर लगे लाउड स्पीकर पर ऐतराज़ करना और हर वो काम करना जिस से आप अपना बना बनाया घर बेचने को मज़बूर हो जाएँ ये सब ज़मीन जिहाद का ही हिस्सा है। आपने अपने आस पास ऐसी घटनाओं को भी देखा होगा और उन इलाकों को धीरे – धीरे मुस्लिम इलाकों में बदलते भी देखा होगा, इन इलाकों को मिनी पाकिस्तान का नाम दिया जाता है, आपके आस पास भी ऐसे इलाके होंगे, कभी सोचा की ५० से ऊपर देश होने के बावजूद भी मिनी पाकिस्तान ही नाम क्यों दिया जाता है?

उपचार

ये समस्या जितनी बड़ी है उतनी ही भयानक भी है अतः इसका अतिशीघ्र निदान भी होना नितांत आवश्यक है, सबसे पहले तो हमे मज़ारों का पूजन रोकना होगा क्यूंकि मज़ार पर चढ़ाई हर चादर आपके वीर सैनिक भाइयों के लिए कफ़न है, अपने परिजनों को वहां जाने से तत्काल प्रभाव से रोकिये, मुसलामानों की किराये पर मकान और दुकान देना बंद करिये, सुबह मंदिर जाना आरम्भ कीजिये खासकर उस मंदिर जिसका हाल ही में लाउड स्पीकर बंद हुआ है, हो सके तो मगलवार को सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ करिये, बजरंग दल जैसे संगठनों से जुड़ कर रहिये, अपना मकान अगर बेचना हो तो किसी हिन्दू को ही बेचिये, जो भूल अबतक हो गई उसे सुधरने में समय लगेगा किन्तु आज हम ये सुनिश्चित कर सकते हैं की भविष्य में हम वही भूल न करें। अपनी जाति विशेष की चिंता छोड़कर हिन्दू समाज की चिंता करें।

अपनी सरकार पर निरंतर दबाव बनाकर हमे लव जिहाद की तरह मस्जिद, मदरसा और मज़ारों को बनने से रोकना होगा, ऐसा कोई भी अवैध निर्माण देखते ही सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से अपनी आवाज़ उठायें और तुरंत पुलिस को सूचित करें।

हमे ये करना ही होगा क्यूंकि यही एकमात्र विकल्प है, हमने कश्मीर देखा है, उसी से सीख लीजिये इस से पहले की बहुत देर हो जाए।

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