कैबिनेट की पहली बैठक में युवाओं के गुस्से को प्यार में बदल सकते हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार।

सोमवार 16 नवम्बर 2020, शाम 4 वजे , जदयू नेता श्री नीतीश कुमार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के समर्थन से बिहार के मुख्यमंत्री की रिकॉर्ड सातवीं बार शपथ लेंगे। कार्यक्रम पटना स्थित राजभवन में माननीय राज्यपाल श्री फागु चौहान के समक्ष होगा।
2020 का चुनाव जितना भाजपा और जदयू गठबंधन के लिए आसान नही था। 15 वर्षों की एन्टी इनकम्बेंसी जनता के बीच व्याप्त थी और सभी बदलाव की मांग कर रहे थे। तेजस्वी यादव की सभाओं में उमड़ी भीड़ हर किसी के मन मे शंका पैदा कर रही थी कि क्या सुशासन बाबू फिर से जीत पाएंगे।
परंतु राजद की जंगलराज की यादों से पनपी विकल्पहीनता के कारण, एवं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के रैलियों के बदौलत किसी तरह राजग गठबंधन 122 की जादुई आंकड़े को पार करने में कामयाब रही। प्रधानमंत्री के “जंगलराज के युवराज” जैसे शब्दों ने जनता को उन भयावह दिनों की याद दिला दी जिसकी कल्पना से भी रूह कांप जाती हो।
पर ये कांटो भरा ताज है। बिहार की जनता को अभी उचित विकास नही मिला तो शायद अगली बार माफी न मिल पाए। सरकार से इतनी घोर निराशा के बावजूद यदि सत्ता मिली है तो ये नीतीश कुमार जी के लिए स्वर्णिम अवसर है बिहार के युवाओं को प्रसन्न कर अपना रिकॉर्ड सुधारने का साथ ही साथ जदयू भाजपा का राजनीतिक भविष्य संवारने का।
बिहार की युवाओं की मांगों को पूरा करने का ये अवसर जाने नही देना चाहिए । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं भाजपा की तरफ से नए उपमुख्यमंत्री जी को अपना राजनीतिक कद बचाने के लिए जनता के लिए कार्य करने ही होंगे मांगों को पूरा करना ही होगा।
कैबिनेट की पहली बैठक में निम्न कार्य अवश्य किये जाने चाहिए।
उपरोक्त कदम यदि प्रथम कैबिनेट मीटिंग में उठाये जाते हैं। या नई सरकार के प्रथम माह के भीतर ये निर्णय किये गए तो बिहार की जनता खासकर युवा वर्ग जो काफी निराश है, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं नए उपमुख्यमंत्री से प्रसन्न हो जायेगा। सम्भव है लोग कहने लगेंगे की कहा तेजस्वी जी ने पर किया नीतीश जी ने। ऐसे में हवा बदल जाएगी एवं युवाओं का गुस्सा शांत हो जाएगा। राजग गठबंधन को ये ध्यान रखना चाहिए कि 200+ लाने वाली जदयू भाजपा की जोड़ी अगर 125 लाकर भी चैन की सांस ले रही है तो ये युवाओं के गुस्सा और मिडल क्लास की निराशा का परिणाम है। अभी इनके आशा के अनुरूप काम न किया गया तो आनेवाले लोकसभा, या अन्य चुनावों में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
ऐसे भी जनहित का कार्य करना , जनता के अपेक्षाओं पर खरा उतरना केवल वोट के लिए ही आवश्यक नही है अपितु एक लोकतांत्रिक सरकार का कर्तव्य भी है। एक चुनी हुई सरकार को संविधान के भाग 4 में अनुच्छेद 36 से 51 में वर्णित नीति निर्देशक तत्वों का अक्षरशः अनुसरण करने की ईमानदार कोशिश करनी चाहिए।
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