अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प वो पहले राजनेता थे जिन्होंने सार्वजनिक रूप से कोरोना को “चाइनीज़ वायरस ” कहना शुरू किया था और इतना ही नहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन की संदेहास्पद भूमिका और चीन को बचाने की कोशिशों के कारण उसे आड़े हाथों लेते हुए अमेरिका से मिलने वाले अनुदान पर रोक लगा दी थी।
चीन और उसके हितैषी देशो द्वारा बार बार इसका प्रतिरोध जताने के बावजूद ट्रैम्प ने ये बात कहना नहीं छोड़ा और साथ ये भी सन्देश दे दिया कि इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि कोरोना महामारी चीन के वुहान लैब में किए जाए गुप्त जैविक परीक्षणों के सफल /असफल हो जाने का ही एक दुष्परिणाम है।
अमेरिका में चुनाव के बाद जब सत्ता पलट गई और ट्रम्प हार कर शासन से बाहर हो गए तो ये कयास लगाए जाने लगे कि अब शायद अमेरिका चीन के प्रति आक्रामक रुख नहीं अपनाएगा। इस बीच धीरे धीरे कोरोना की वैक्सीन आ जाने से और तब तक इस महामारी से निपटने के उपायों को सीख समझ लेने के काऱण स्थितियॉं बदलने लगीं और चीन आराम से अपनी करतूतों को छिपा कर बैठ गया।
दुनिया के बहुत सारे देशों को चिकित्स्कीय उपकरण ,संसाधन और वैक्सीन देकर दोहरी नीति साधने लगा। पहली तो ये कि इस बीच चीन की अर्थव्यवस्था जो पिछले 7 वर्षों से गर्त में थी अचानक उभर कर विश्व की सबसे शक्तिशाली अर्थव्यवस्था बन गई दूसरी ये कि चीन महामारी में सभी मददगार बनने का ढोंग रचने में सफल रहा।
लेकिन चीन ने मानवता के विरुद्ध जो अपराध किया है , दुनिया में लाखों लोगों की अकाल मौत हो गई है तो ये पाप इतनी जल्दी छुपने वाला नहीं है। और चीन की उलटी गिनती शुरू हो गई है। सबको हैरान करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने अब अचानक निर्णय ले लिया है और सम्बंधित एजेंसियों को आदेश जारी कर दिया है की कोरोना के वुहान लैब से कनेक्शन के सारे राज़ खंगाल के बाहर लाया जाए जो चीन ने दुनिया से छिपा कर रखा है।
इतना ही नहीं बाइडेन अब इस राज को सबके सामने लाने के लिए इतने उद्धत हो गए हैं कि अपनी खुफिया जाँच एजेंसियों को टाइम बाउंड करते हुए तीन महीनों के अंदर रिपोेर्ट पेश करने के लिए जांच की रफ़्तार और दायरा दोगुना करने का फरमान भी जारी कर दिया है।
जैसे ही अमेरिका ने चीन के खिलाफ ये जाँच शुरू की है चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग बौखला कर अनाप शनाप बयानबाजी से अपनी करतूतों को दोबारा छिपाने की कोशिश शूरु कर दी है। अमेरिका के इस कदम को राजनैतिक द्वेष की कार्यवाही बता कर चीन अपने अपराध से दुनिया का ध्यान बँटाना चाहता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन जो इस महामारी के सम्बन्ध में सर्वथा एक फेलियर साबित हुआ है उस पर भी इस जाँच से जुड़ी सभी रिपोर्टों और शोधों को चीन को निर्दोष साबित करने में लगाने के उसके प्रयासों की खूब निंदा हो रही है। ज्ञात हो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन को इस महामारी की भयावता के पता लगने के तीन महीने बाद भी संगठन ने ये बात अमेरिका और अन्य दूसरे देशों से साझा नहीं की।
यही समय है कि सिर्फ अमेरिका ही नहीं , बल्कि चीन के इस पाप , इस अपराध के विरुद्ध पुरे विश्व के देशों को एक साथ , एकजुट होकर चीन के विरुद्ध लामबंद होकर मोर्चा खोल देना चाहिए कर चीन को उसके किए का दंड देना चाहिए
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.