महाराष्ट्र खासकर राजधानी मुंबई में जो कुछ भी तमाशा हो रहा है उसे पूरा देश देख रहा है. गौर करने वाली बात यह है की सरकार पर इतने आरोप लगने के बाद भी निर्लज्जता से दलील पर दलील दी जा रही है. दिनों दिन एक क्राइम सीरियल के धारावाहिक की तरह मामला दिलचस्प होता जा रहा है. दर्शक को यह तो पता है की अपराधी कौन है ? लेकिन फिर भी अपने बचाव के लिए जिस तरह की वह सीनाजोरी करता है, हर आरोप को नकारता है, वह देश की जनता का मनोरंजन करने के अलावा चिंता में भी डाल दे रहा है कि यह कोई लिखी काल्पनिक कहानी तो है नहीं बल्कि नेताओं द्वारा लिखित और निर्देशित सच्ची कहानी है. जिसमे एक व्यक्ति की हत्या भी पुलिस द्वारा कर दी जाती है. उसका बचाव विधान सभा में राज्य का मुख्यमंत्री करता है. और तो और सभी बातों को नकारते हुए पुलिस कमिश्नर का तबादला कर दिया जाता है.
तबादले को एक सामान्य शासकीय प्रक्रिया कहकर बचाव किया जाता है. वह एक बहुत अच्छे , कर्मठ,इमानदार पुलिस अधिकारी हैं. सत्ता पक्ष के लोग इस बात को चीख चीख कर कहते हैं. खुद के पेपर में उस पुलिस अधिकारी के बारे कसीदे पढ़े जाते हैं. यह सीन फ़्लैश बेक में जाकर पालघर साधू हत्या काण्ड, सुशांत सिंह राजपूत मर्डर काण्ड, कंगना रानावत केस में इन पुलिस वालों की बहादुरी देखा जा सकता है. लगता है की नाटक यही पर समाप्त हो जायेगा. लेकिन नहीं. मामले में मोड़ तब आता है जब वही उनका लाडला कमिश्नर यह आरोप लगाता है कि गृह मंत्री १०० करोड़ रूपया प्रति माह वसूली का लक्ष्य दिए हैं. बाकायदा लक्ष्य को किस तरह पूरा करना है वह तरीके भी बताये. अब वही लोग जो अब तक पुलिस की प्रशंसा करते नहीं थक रहे थे पुलिस को गाली देन में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. अब शायद यह १०० करोड़ के लक्ष्य पूरा करने की जल्दबाजी थी या देश के दुश्मनों के साथ मिली भगत की विश्व के अमिर लोगों में शुमार मुकेश अम्बानी के घर पर ही धावा बोल दिया इन लोगों ने. धमकी दी. जिलेटिन की छड़े रखवाई. यह वसूली करता पुलिस अपने आप को पुलिस महकमे का सबसे बड़ा आदमी समझने लगा. नोट गिनने की मशीन तो साथ लेकर चलता था. फाइव स्टार होटल १०० दिन के लिए बुक रहता है. बहुत सारी चीजे है जो आप सभी को पता है.
एक राज्य सभा सांसद हमेशा महाराष्ट्र अस्मिता की दुहाई देते रहते हैं. जब भी उन पर या उनकी सरकार पर कोई आरोप लगता है तो उनका रटा- रटाया जवाब आता है की यह महाराष्ट्र की अस्मिता का अपमान है. महाराष्ट्र की जनता बर्दाश्त नहीं करेगी. पिछले बीते दिनों उन्हें अपनी कही गई बातों को कितनी बार झुठलाना पड़ा होगा यह उनकी अंतरात्मा से बेहतर कोई नहीं जानता होगा. ये तीन दल की सरकार को अपने बचाव में कुछ नहीं सूझ रहा है. सबका एक ही जवाब यह विपक्ष राजनीति कर रही हैं. सभी उसके आदमी हैं. सबसे अनोखी और बड़ी बात यह की अभी तक वर्ल्ड के बेस्ट सी एम् ने इन मामलों में एक बार भी कुछ नहीं बोला. जबकि यही सी एम् विधान सभा में इस वसूली करता पुलिस का यह कहते हुए बचाव किआ था की वह कोई ओसामा बिन लादेन हैं क्या जो विपक्ष उनके पीछे पड़ा है. जिस गृह मंत्री ने वसूली का आदेश दिया उसकी पार्टी के मुखिया प्रेस कांफ्रेंस कर झूठी दलील देकर मंत्री का का बचाव करते हैं. बात बात पर लोकतंत्र को खतरे में बताने वाली भारत की पुरानी राजनितिक पार्टी मौन साध ली है.एक राजस्थान में कहावत है की जब बाड़ा ही खेत खाने लगे तो उसे कौन बचा सकता है. यानी जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो फिर उसे भगवान् ही बचा सकता है.
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