झारखंड में कोरोना महामारी के समय राज्य में जमकर धर्मांतरण का खेल चल रहा है।  कोरोना की आड़ में मिशनरीज राज्य में लोगों का फायदा उठाकर धर्मांतरण करा रहे हैं. इन दो सालों के दौरान जितने लोगों को ईसाई बनाया गया है उससे पहले ऐसा शायद कभी नहीं हुआ होगा . लेकिन इस बीच कनवर्जन से परेशान खूंटी जिले के लोग अब ईसाई धर्म के प्रचारकों का खुलेआम विरोध करने लगे हैं.

दरअसल झारखंड में ईसाई धर्म के प्रचारकों और पादरियों के खिलाफ 11 जून को शुरू हुआ अभियान अपना रंग दिखाने लगा है। जिसके बाद खूंटी जिले के रायसेमला गांव से एक पास्टर भाग गया है। बता दें आपको रायसेमला वही गांव है, जहां पिछले दिनों ईसाइयों ने हिंदुओं का सामाजिक बहिष्कार कर दिया था। जो लोग ईसाई बन गए थे, वे लोग हिंदुओं पर ईसाई बनने का दबाव डाल रहे थे. जिन लोगों ने अपना धर्म नहीं बदला , उन्हें चर्च के इशारे पर गांव के कुएं से पानी नहीं भरने दिया जा रहा था। यही नहीं, गांव में जो चर्च बना है, उसके लिए धोखे से एक हिंदू की जमीन पर कब्जा कर लिया गया था। इन सबको देखते हुए सामाजिक कार्यकर्ता प्रिया मुंडा ने गांव-गांव से पादरी भगाओ अभियान शुरू किया है.


इस अभियान के साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन देकर बताया जा रहा है कि किस तरह ईसाई 2017 में बने कन्वर्जन कानून का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं। इस कानून के अनुसार किसी का कन्वर्जन करने से पहले प्रशासन से लिखित अनुमति लेनी पड़ती है, लेकिन कन्वर्जन करने वाले इस नियम को तनिक भी नहीं मान रहे हैं। पिछले दिनों खूंटी के उपायुक्त को एक ज्ञापन दिया गया है। इसमें मांग की गई है कि जो लोग 2017 के कनवर्जन कानून का उल्लंघन कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।

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