आदरणीय प्रधानमंत्री सर ,
एक और हिन्दू घर की संतान मज़हबी कट्टरता की भेंट चढ़ गया । पिछली हर बार की तरह , इस बार भी मुट्ठी भर वहशी बने जेहादियों की उन्मादी भीड़ ने अपने से कहीं अधिक बड़े मगर घोर सहिष्णु परम अहिंसक हो चुके हिंदुओं की बस्ती को भयभीत करने का दुःसाहस किया ।
हिन्दू परिवार बाहुल्य गली , मुहल्ले , बस्ती और इस देश में हमेशा से ऐसा कर पाना हमेशा से ही आसान रहा है क्योंकि हिन्दू समाज को एक षड्यंत्र के तहत सहिष्णुता , अहिंसा जैसे छद्दम आवरण को आधा कर आवश्यकता से अधिक नम्र व क्षमाशील बना कर रख दिया गया है . 70 सालों तक उन्हें पढ़ाया समझाया जताया जाता रहा कि , इतने कमज़ोर हो जाओ कि कोई भी कभी भी तुम्हारे घर में घुस कर घर को आग लगा दे , तुम्हें मार काट कर फेंक दे .
हर बार अपने सामने ऐसा होते देखने को अभिशप्त हो चुका हिन्दू समाज कितनी ही कोशिश कर ले , कितने ही जतन कर ले मगर खुद को हैवान वहशी कसाई नहीं बना सकता ?? तो क्या करे वो आखिर ??? यूँ ही बार बार मरता कटता रहे ??
प्रधानमंत्री सर , यदि हमें वास्तव में ही भविष्य की पीढ़ी को सशक्त -कम से कम खुद को और अपनों को सुरक्षित रखने लायक तो जरूर ही करना है तो उसके लिए देश के हर नागरिक को दो वर्ष की सैन्य शिक्षा/सेवा अनिवार्य रूप से देने की व्यवस्था की जानी चाहिए .
देश के पास अवकाश प्राप्त सैनिक भाईयों की एक बहुत बड़ी ,अनुभवी और अचूक शक्ति उपलब्ध है . गाँव कस्बे मुहल्ले के स्तर से , तमाम शिक्षण प्रशिक्षण संस्थानों से जुड़ कर इस कार्य को संभव किया जा सकता है . ग्रामीण क्षेत्रों में अपने अपने गांवों में जीवन यापन कर रहे सैनिक भाई समाज को और विशेषकर युवाओं में , बच्चों में उच्च कोटि के सैनिक संस्कार -सुरक्षा , सावधानी , सहयोग , साथ , बहादुरी , सच्चाई और वफ़ादारी गुणों से विकसित कर सकेंगे .
समाज को अपने अंदर की इस बुजदिली , कायरता को नोंच कर बाहर फेंक देने के लिए तैयार करना ही एकमात्र विकल्प है सर .
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