छत्रपति वीर शिवाजी को महान बनाने में उनकी मां जीजाबाई के बलिदान का सबसे ज्यादा योगदान है। जीजाबाई ने रामायण और महाभारत की कहानियां सुनाकर शिवाजी के भीतर वीरता, धर्म निष्ठा, धैर्य और मर्यादा आदि गुणों का ऐसा विकास किया जिसके बल पर आगे चलकर शिवाजी वीर और साहसी योद्धा बने। इतिहासकारों के मुताबिक जीजाबाई ने अपनी देखरेख और मार्गदर्शन में शिवाजी में नैतिक संस्कारों का संचार किया था। उन्होंने शिवाजी महाराज को मानवीय रिश्तों की अहमियत समझाने के साथ ही महिलाओं का मान सम्मान करने और उनके अंदर देश प्रेम की भावना जागृत करने में कामयाबी हासिल की।


जीजाबाई ने शिवाजी को केवल कहानियां ही नहीं सुनाईं बल्कि उन्हें तलवारबाजी, भाला चलाने की कला, घुड़सवारी, आत्मरक्षा और युद्ध कौशल की शिक्षा में भी पूरी तरह निपुण बना दिया। शिवाजी भी अपनी कामयाबी का श्रेय अपनी वीरमाता जीजाबाई को दिया करते थे। वे अपनी मां को ही अपना प्रेरणास्रोत माना करते थे। जीजाबाई ने अपनी पूरी जिंदगी अपने बेटे को मराठा साम्राज्य का महानतम शासक बनाने में लगा दी थी।

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