पूरे देश में पेट्रोल डीजल के दामों को लेकर हो हल्ला मचा हुआ है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल के दामों में वृद्धि हुई है और इसके चलते भारत में भी तेल के दाम बढ़े हैं मगर विपक्षी दल इस तथ्य को अनदेखा कर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। मगर राजनीति के जानकार बताते हैं कि विपक्षी पार्टियां तेल के दामों के चलते हल्ला नहीं मचा रही हैं बल्कि उन्हें चिंता है अब्दुल, तबरेज़ के रोजगार की…जी हां अब आप सोचेंगे कि अब्दुल और तबरेज़ का बढ़ते हुए तेल के दामों से क्या सम्बंध है?? क्या अब्दुल-तबरेज़ के पास गाड़ी हैं जो पेट्रोल भरवाने से उनकी जेब पर असर पड़ेगा?? तो इसका जवाब है अब्दुल-तबरेज़ के पास गाड़ी तो नहीं हैं मगर गाड़ी ठीक करने का काम है। 


जी हां, कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों को चिंता है कि अगर पेट्रोल महंगा होता रहा तो देश के तमाम लोग गाड़ी खरीदना कम कर देंगे या सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने लगेंगे। अब अगर देश की बहुसंख्यक आबादी गाड़ी इस्तेमाल कम कर देगी या सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने लगेगी तो ऐसे में गाड़ियां पंचर नहीं हो सकेंगी और यदि गाड़ियां पंचर नहीं होएंगी तो अब्दुल-सत्तार-ख़ालिद-तबरेज़ काम क्या करेंगे? अगर उनकी पंचर की दुकान बंद हो गई तो उनका घर कैसे चलेगा और घर में मौजूद मामू की बेटियों यानी 3-4 बीवियों का और उनके 17 बच्चों का पेट कैसे भरेगा? 

सूत्र बताते हैं कि अब्दुल-खालिद और उनकी बीवी बच्जों के प्रतिनिधिमंडल ने गांधीवादी रॉबर्ट वाड्रा से मुलाकात कर मुद्दा सामने रखा और तब रॉबर्ट वाड्रा ने प्रियंका वाड्रा से इस मुद्दे को जमकर उछालने को कहा। प्रियंका वाड्रा की मार्फ़त पूरी कांग्रेस को ये संदेश भेज दिया गया कि अब्दुल-खालिद की पंचर दुकानों को बचाए रखने के लिए जोर-शोर से पेट्रोल के दामों पर शोर मचाया जाएगा ताकि पेट्रोल सस्ता हो सके और लोग खूब गाड़ी चलाएं। लोग खूब गाड़ी चलाएंगे तो खूब शिद्दत से गाड़ी के टायर पंचर हो सकेंगे। गाड़ी के टायर पंचर होएंगे तो अब्दुल-खालिद-सत्तार की दुकान चलेगी और ऊपर वाले के नाम पर वो हर साल अपनी बीवी को हामिला कर सकेगा ताकि रिंकू शर्मा,चंदन गुप्ता, डॉक्टर नारंग, निकिता तोमर के साथ गंगा-जमुनी तहजीब का भाईचारा निभाया जा सके।

(यह महज एक व्यंग्य है)

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