झारखंड की राजधानी रांची में भी शुक्रवार को सड़कों पर जुम्मे की नमाज के बाद हिंसक प्रदर्शन देखने को मिला. दंगाई मुस्लिम भीड़ ने जम कर उत्पात मचाया, जिसमें कई पुलिसकर्मी जख्मी हो गए। कई वीडियो ऐसे सामने आए जिसमें पुलिस वालों पर पत्थर फेंके गए, उनके मोबाइल फोन तक तोड़ दिये गए. ऐसे में जब इन दंगाइयों के निशाने पर तमाम पुलिस वाले हों तो फिर हमारी पुलिस को क्या करना चाहिए . जाहिर है इसका जवाब होगा पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए . लेकिन जब रांची में दंगाईयों को रोकने और उन्हें शांत करने के लिए पुलिस को थोड़ा बल प्रयोग करना पड़ा तो दंगाईयों के हिमायती सामने आकर पुलिस की कार्यशैली पर ही सवाल उठाने लगे . पुलिस की जवाबी कार्रवाई पर आपत्ति जताने लगे .

दरअसल झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सहयोगी पार्टी कांग्रेस के विधायक इरफान अंसारी की दंगाईयों की कुटाई के बाद इनकी आंखों से आंसू और दंगाइयों के लिए मन में दया उमड़ रही है. जामताड़ा के कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने दंगाइयों की मौत की निंदा करते हुए उनके परिवार के लिए मदद का एलान किया है. रांची में पुलिस की गोली से जिन 2 दंगाइयों की मौत हुई है, उनके नाम मुदस्सिर उर्फ कैफी और दूसरे का मोहम्मद साहिल बताया जा रहा है . जो वीडियोज सामने आए हैं उसके मुताबिक हजारों की तादाद में दंगाई सड़कों पर पत्थर लेकर पुलिस वालों पर हमला कर रहे थे. लेकिन कोई चारा न देख आखिरकार पुलिस वालों को मजबूरन गोली तब चलानी पड़ी जब उन पर पथराव होने लगा और सरकारी संपत्ति को निशाना बनाया जाने लगा .

लेकिन हर बार की तरह वही हाल अगर कोई मुदस्सिर या मोहम्मद साहिल की मौत होती है तो तुष्टिकरण की राजनीति करने वाली कांग्रेस पार्टी के नेता इसी तरह से विक्टिम कार्ड खेलना शुरू करते हैं. जैसा इरफान अंसारी कर रहे हैं. ये विधायक जी उस समय कहां थे जब सैकड़ों की भीड़ ने हजारीबाग के 17 साल के रुपेश पांडे की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी ? वैसे रुपेश की हत्या पर ये आंसू भी क्यों बहाते वो थोड़े कोई मोहम्मद था.

लेकिन रांची में जिस तरह से उग्र हिंसा दिखी वैसी हालत में पुलिस विभाग के बड़े अधिकारियों ने इस समय शहर को बचाने के लिए जो ठीक समझा वो किया. लेकिन इसके ठीक उलट इरफ़ान अंसारी दंगाइयों पर सवाल उठाने के बजाए पुलिस पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं और पुलिस की निंदा करते हुए रांची SP सिटी अंशुमन कुमार पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. आपको बता दें सिटी एसपी खुद शुक्रवार को हुईं हिंसा में घायल हुए लेकिन शहर के हालात नॉर्मल किये…शुक्रवार को दंगाईयों ने शहर को दंगे की आग में झोंकने में कोई कमी नही छोड़ी थी लेकिन जिन पुलिस वालों ने दंगाईयों के पत्थर खाकर, खुद को घायल कर शहर को बचाया उनके खिलाफ ऐसे नेता कार्रवाई की बात कर रहे हैं ? क्या अगर ये दंगाईयों की भीड़ विधायक इरफान अंसारी के घर पर भी पहुंचती तो भी इनका जवाब यही होता ?

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