पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है, परंतु भारत की स्थिति अन्य देशों की तुलना में कहीं बेहतर दिखाई पड़ती है। हाल ही में पूरे देश मे कोरोना संक्रमण के मामलों में गिरावट दर्ज की जा रही है, वहीं देश का मृत्यु दर व मरीजों के ठीक होने के मामलों में भी लगातार सुधार हो रहा है। लेकिन इसी के बीच दिल्ली एकमात्र ऐसा राज्य पूरे देश के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। जब पूरे देश मे कोरोना के केस कम हो रहे है, वहीं दिल्ली में इन्हीं मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।
विशेषज्ञों की राय है यह कोरोना की दिल्ली में तीसरी लहर है। कोरोना के बढ़ते मामलों का कारण दिल्ली में प्रदूषण का बढ़ना भी बताया जा रहा है। दिल्ली राज्य प्रदूषण की मार झेल रहा है। प्रदूषण कम करने के मामले में केजरीवाल सरकार पूर्णतया विफल साबित होती दिख रही है। केजरीवाल सरकार के प्रदूषण को रोकने के स्थायी उपाय न ढूढने के कारण दिल्ली बदहवास हो चुकी हैं। पूर्व में शुरू किए ओड – ईवन कार्यक्रम के बाद अब रेड लाइट ऑन- गाड़ी ऑफ वाला कार्यक्रम शुरू किया जो कोई असर नही छोड़ता दिखाई पड़ रहा है। देश मे सर्दी का मौसम भी शुरू हो गया है और दिल्ली में सर्दी भी अधिक पड़ती है। विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना ठंडे वातावरण में अधिक समय तक रह सकता है। एक तरफ बढ़ते कोरोना केस, दूसरा प्रदूषण व सर्दी के मौसम के आने से अब केजरीवाल सरकार की नींद गायब हो चुकी हैं। पहले से कोई इंतजाम न करने के कारण केजरीवाल सरकार फिर एक बार केंद्र के पास पहुँची है। पूर्व में जब केस बढ़े थे तो स्वयं देश के गृह मंत्री ने दिल्ली की कमान अपने हाथों में लेकर दिल्ली वासियों की रक्षा को थी। लोगों का कहना है कि फिर एक बार वह समय आ गया है कि अमित शाह को दोबारा मैदान में कूदना पड़ेगा और दिल्ली को कोरोना और प्रदूषण से बचाना पड़ेगा।

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