उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के एक स्कूल का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसके बाद से कुछ लोगों के दिलों में दया, प्रेम ना जाने और क्या-क्या उमड़ रहा है और हां इनमें से कई महानुभाव ऐसे हैं जो देश के बड़े मुद्दों को लेकर भले ही ट्वीट ना करें लेकिन अगर पढ़ाई ना करने को लेकर एक टीचर ने अपने छात्र को सुधारने के लिए कुछ अलग रास्ता अपनाया तो ये लोग सोशल मीडिया का सहारा लेकर अपना एजेंडा चलाने लगते हैं. क्योंकि यहां जिस टीचर की बात हो रही है उनका नाम तृप्ता त्यागी है और बच्चा मुस्लिम समुदाय से है. अब तो आप समझ ही गए होंगे कि क्यों इस मामले को लेकर इतना बवाल मचा हुआ है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मामला मुजफ्फरनगर के खुब्बापुर स्थित नेहा पब्लिक स्कूल का है। स्कूल के वायरल वीडियो को लेकर यूपी पुलिस ने हाल ही में एक बयान जारी किया है। पुलिस का कहना है कि जाँच में पता है कि महिला टीचर ने टेबल नहीं याद करने पर आठवीं के बच्चे की अन्य बच्चों से पिटाई लगवाई थी। इसको लेकर संबंधित विभाग विभागीय कार्रवाई करेगा। साथ ही इस मामले में NCPCR ने भी संज्ञान लिया है।

लेकिन इन सबके बीच हमारा सवाल ये कि आज जिन लोगों को इस थप्पड़ से बहुत पीड़ा हो रही है क्या कपड़े सिलने वाले कन्हैया लाल की हत्या के बाद भी इतना ही दर्द हुआ था? दिल्ली दंगे में तालिबानी अंदाज में मारे गए अंकित सक्सेना के शव को देखकर कितने लोगों के आंसु निकले थे? श्रद्धा के 35 टुकड़ों को देखकर कितने लोगों का हाड़ कांपा था? झारखंड के 16 साल के रूपेश पांडे की हत्या के बाद कितने लोग अपनी संवेदना व्यक्त करने पहुंचे थे या कितनों ने ट्वीटर पर भारी-भरकम शब्दों से उस बच्चे को श्रद्धांजलि दी थी? यकीनन किसी के पास कोई जवाब नहीं होगा! अभी हाल ही में मेवात दंगे में हिंदुओं को मारा गया उनके मामले में तो किसी ने कोई ट्वीट नहीं किया.

विडंबना देखिए राहुल गांधी से लेकर वामपंथी मीडिया के बड़े पत्रकार तक इस मुद्दे पर ट्वीट कर रहे हैं, मानो दुश्मन देश से आकर किसी ने बम फोड़ दिया है. अरे भाई हम में से कईयों को बचपन में स्कूल में इस तरह की सजा मिली थी. टीचर के मकसद को समझिए वो उस बच्चे को सुधारना चाहती थी उसे पढ़ाना चाहती थी इसलिए उन्होंने ये रास्ता अपनाया. हम अभी भी कह रहे हैं कि टीचर का तरीका गलत हो सकता है लेकिन मकसद नहीं.

एक थप्पड़ पर आहत हो जाने वाले कभी कन्हैया लाल, उमेश कोल्हे, कमलेश तिवारी की सरेआम “सरकलम” पर चुप्पी क्यों साध लेते हैं? टीचर ने जो किया है उस पर स्कूल प्रशासन एक्शन लेगा, कानून अपना काम करेगी लेकिन यहां तो पता नहीं देश के लिबरल खेमे को कौन सी चीटीं काट रही है. शायद इसे ही कहते हैं बात का बतंगड़ बनाना! इसलिए आप सबसे निवेदन है कि पहले सच्चाई को जाने किसी भी प्रोपेगैंडा के झांसे में न आएं.

 

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