बहुत पहले एक फिल्मी गीत बहुत लोकप्रिय हुआ था जिसे के एल सहगल ने गाया था। गाने के बोल हैं “इक बंगला बने न्यारा’, वैसे तो सभी का सपना होता है कि उनका बंगला न्यारा बने, महल जैसा बने लेकिन पता नहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कौन सा शीशमहल बना रहे हैं कि हर बार इनके इस शीशमहल पर कुछ ना कुछ ग्रहण मंडराता ही रहता है. वैसे इस बार बात सड़जी के बंगले की नहीं बल्कि उनके निजी सचिव की हो रही है.

वैसे तो आम आदमी पार्टी के सुप्रीमों और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का बंगला विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. लेकिन अब मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उनके निजी सचिव को अवैध तरीके से बड़ा बंगला देने को लेकर एक नया विवाद सामने आया है।

केजरीवाल के निजी सचिव, साभार-मिंट

दरअसल, मुख्यमंत्री केजरीवाल के निजी सचिव बिभव कुमार को पहले गलत तरीके से आवंटित टाइप-6 बंगले को रद्द कर दिया गया है। इसके बाद सतर्कता निदेशालय ने पीडब्ल्यूडी को आवास आवंटन नियमों का पालन करते हुए  उन्हें टाइप-4 बंगला आवंटित करने का आदेश दिया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एजेंसी ने पाया कि बिभव कुमार को दिल्ली सरकारी आवास आवंटन (सामान्य आवास पूल) के नियमों का उल्लंघन करते हुए गैरकानूनी तरीके से उन्हें टाइप-6  घर दे दिया गया था, जबकि वह टाइप-4 आवास के लिए पात्र थे। इसी मामले में 23 अगस्त, 2023 को विभाग ने इस मामले में पीडब्ल्यूडी सचिव को पत्र लिखा। उस पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि कुमार को शुरू में टाइप-5 आवास आवंटित किया गया था।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पीडब्ल्यूडी सचिव को भेजे गए इस पत्र में साफ़-साफ उल्लेख है, “यह पाया गया है कि बिभव कुमार को टाइप-5 आवास आवंटन रूल बुक के नियम (20) डी के अनुसार नहीं है। लोक निर्माण विभाग द्वारा जाँच में यह पाया गया है कि आवंटन नियमों के अनुसार… वह केवल टाइप-4 आवास के पात्र हैं क्योंकि यह बिना बारी का आवंटन है। चूँकि, उन्हें एक बड़ा क्वार्टर यानी टाइप-5 आवंटित किया गया था, इसलिए कुमार को इस प्रकार के आवंटन को नियमित करने के लिए पिछले डेट से एलजी की मंजूरी लेने के लिए लोक निर्माण विभाग के सचिव ने 18 अगस्त 2016 को एक प्रस्ताव पेश किया था।”

जिस पर उपराज्यपाल ने अपने जवाब में निर्देश दिया कि इस मामले को मौजूदा कानून और नियमों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाए। रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि कुमार ने दिल्ली जल बोर्ड द्वारा आवंटित टाइप-6 आवास (बंगला) पर कब्जा जमा लिया है जबकि वह उसके योग्य नहीं हैं। सतर्कता विभाग ने अपने पत्र में लिखा कि, “मौजूदा नियमों के अनुसार राजपुर रोड पर टाइप-5 आवास का आवंटन अवैध है। टाइप-5 आवास को नियमित करने के प्रस्ताव को भी एलजी ने अनुमति नहीं दी। इसलिए, विभाग पीडब्ल्यूडी आवंटन के नियमों का पालन करते हुए कुमार को आवंटित टाइप-6 बंगले को रद्द कर उन्हें उनकी श्रेणी के अनुसार, टाइप-4 बंगला आवंटित कर सकता है।”

दरअसल यह नया विवाद ऐसे समय में आया जब खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बंगले को लेकर जाँच चल रही है। याद दिला दें अभी हाल ही में यह खुलासा हुआ था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने आवास को सजाने में 45 करोड़ रुपए खर्च किए। इस आवास में पर्दे ऐसे लगे जिनकी डिजाइनिंग ही 8 लाख के करीब की है। वहीं जमीन पर जो मार्बल लगे जिनकी कीमत 3 करोड़ थी। एक स्विमिंग पूल बना जो मालदीप होटलों के स्टैंडर्ड पर था। इसी तरह इस आवास में हर चीज सबसे महंगी लगाई गई और देखते-देखते साज-सज्जा में 45 करोड़ खर्च हो गए। टाइम्स नाऊ ने इस पर अपनी रिपोर्ट को ‘ऑपरेशन शीश महल’ का नाम दिया था।

दरअसल खुद को आम आदमी कहने वाले और कभी गाड़ी-बँगला नहीं लेने की बात कहने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जब राजनीति में कदम रखा था, तब उन्होंने ढिंढोरा पीट कर कहा था कि वह अन्य राजनीतिज्ञों की तरह नहीं है। इनका स्लोगन था “हम राजनीति बदलने आए हैं जी” लेकिन इन्होंने किस तरह से राजनीति बदली है ये बताने की जरुरत नहीं है.

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