पिछले कुछ समय में जिस तरह से सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म्स का उपयोग भारत विरोधी एजेंडे को चलाने , सरकार और शासन व्यवस्था के विरुद्ध तरह तरह के झूठ , भ्रम और साजिश फैलाने के लिए किया जा रहा है वो संबंधित एजेंसियों व सरकार को इस बात के लिए विवश कर रहा है कि देश की अखंडता , सुरक्षा और शांति के लिये इन पर सरकार द्वारा समय समय पर नकेल कसना पड़ रहा है .
अभी कुछ महीनों पहले ही सरकार ने चीन के सैकड़ों एप्स को प्रतिबंधित करने का निर्णय लेकर एक ऐसी ही डिजिटल स्ट्राइक को अंदाम दिया था जिसका प्रभाव आज तक उन कंपनियों पर पड़ रहा है और उनमें से बहुत सी तो दिवालिया होने की कगार पर आ गए हैं . असल में समस्या ये है कि इन मंचों और माध्यमों के लूप होल्स , समुचित निगरानी व्यवस्था के न होने के कारण और बहुत सारी कंपनियों के विदेशी होने के कारण देश विरोधी , वामपंथी और यहॉं तक क़ि कई बार आतंकी संगठन तक इसके इस्तेमाल से कई खतरनाक षड्यंत्रों को अंजाम देते रहे हैं .
वर्तमान में चल रहे ऐसे ही , किसान आंदोलन के नाम पर पिछले दो ढाई महीने से किए जा रहे तमाम उपद्रव , अशांति और हिंसा की सारी साजिश का तानाबाना भी इन्हीं सोशल नेटवर्किंग साइट्स के माध्यम से किया जा रहा है . दुनिया के सबसे चर्चित सोशल नेटवर्किंग साइट्स फेसबुक और ट्विटर पर पिछले कुछ समय से निष्पक्ष नहीं रहने और जानबूझ कर विरोधी , नकारात्मक स्वरों को बढ़ावा देने , उनका संरक्षण करने का आरोप लग रहा है और कई बार सच भी साबित हुआ है .
इन दिनों ट्विटर एक बार फिर से निशाने पर है . इसके संचालक जैक का मनमाना व्यव्हार , पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के विरुद्ध एक सुनियोजित कैम्पेन चलाना , अपनी साइट पर प्रदर्शित भारत के मानचित्र का गलत चित्रण और अब भारत विरोधी एजेंडा चलाने वालों के ट्वीट को प्रश्रय देना , राष्ट्रवादी अभिनेत्री कंगना राणावत द्वारा किए गए तीखे ट्वीट को डिलीट करके उनके अकाउंट को निलंबित करने की धमकी आदि कुछ वो हालिया प्रकरण हैं जो भारतीयों और सरकारी एजेंसियों की नज़र में खटक रहे हैं .
ट्विटर के भारतीय प्रमुख को पहले भी कई बार संबंधित एजेंसियों ने इन प्रकरणों और उन पर ट्विटर के भारत , सरकार विरोधी रुख के कारण तलब करके स्पष्टीकरण माँगा है , और बहुत बार माफी मांग कर ट्विटर ने अपनी जान बचाई है , किंतु ऐसा लगता है कि देर सवेर ट्विटर का हाल भी टिक टॉक सरीखा होने वाला है . यूँ भी भारतीय जिस तरह से अपने देशी विकल्पों टूटर , कू आदि जैसे सोशल नेटवर्किंग साइट्स की ओर रुख कर रहे हैं उससे भी यही लग रहा है कि ट्विटर का बोरिया बिस्तर बहुत जल्द ही बंधने वाला है .
भारतीय उपभोक्ताओं के सहारे अपनी दुकानदारी चला कर करोड़ो अरबों रुपए का कारोबार करने वालों को ये इजाजत कतई नहीं दी जा सकती कि वे हमारे ही पैसे से हमें और हमारे देश को तोड़ने के षड्यंत्र रचते रहें .
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