कहते हैं की सत्ता का मद बहुत ही खतरनाक होता है , यदि न संभाले तो मस्तिष्क पर सवार होकर सर्वनाश पर तुल जाता है। कुछ यही स्थिति इन दिनों महाराष्ट्र की शिवसेना -कांग्रेस गठबंधन महाअघाड़ी सरकार की हो गई है।

एक के बाद एक ऐसे ऐसे फैसले और कदम उद्धव सरकार उठा रही है जो राजनैतिक शुचिता , सामाजिक गरिमा और प्रशासकीय दायित्व को तार तार किए दे रही है। एक विवाद थमता नहीं है कि तुरंत ही दूसरा विवाद खड़ा करने को उद्धत महाराष्ट्र सरकार ने तो जैसे सारी नैतिकता को खूँटे पर टाँग दिया है।

अब , महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री भगत सिंह कोशियारी जी के साथ जिस तरह का अपमानजनक दुर्व्यवहार किया गया है वो सरकार की छवि और उसके रवैये पर , अपने आप में न सिर्फ एक काला धब्बा है बल्कि एक अपराध भी है।

राज्यपाल भगत सिंह अपने गृह प्रदेश हिमाचल के लिए सरकारी विमान से जाने के दौरान जब विमान पर बैठे तो शिवसेना सरकार ने उन्हें इसकी अनुमति न देकर विमान से उतार दिया। राज्य के किसी प्रशासनिक प्रमुख, एक वयोवृद्ध राजनेता के साथ ऐसा व्यवहार सिर्फ शिवसेना सरकार ही कर सकती थी। और इसका कारण भी स्पष्ट दिखता है।

हिमाचल की अभिनेत्री कंगना राणावत ने पिछले दिनों जब महाराष्ट्र सरकार पर तीखे आरोपों के साथ हमला बोला था तो कोशियारी ने उनका पक्ष लिया था। कंगना ने अपने मुम्बई दौरे में राज्यपाल कोशियारी से मुलाक़ात भी की थी।

और ऐसे में , जब शिवसेना सरकार , सचिन , लता , अक्षय , सुनील शेट्टी , अजय देवगन आदि जैसे नामी प्रतिष्ठित लोगों को सिर्फ देश के पक्ष में ट्वीट करने की सज़ा उनके ऊपर जाँच बिठा कर दे सकती है तो फिर कोशियारी के साथ निजी खुन्नस निकालने में उसे कितनी देर लगती।

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस ने इस घटना को महाराष्ट्र के लिए काला दिन बताते हुए इसका पुरज़ोर विरोध किया है।

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