सनातन के हर उत्सव/त्यौहार का है – सामाजिक सरोकार

युगों युगों से दुनिया में कौतूहल का विषय बना हुआ भारत यूं ही नहीं पूरी धरती का विशिष्ट भू बना हुआ है | प्राकृतिक , जैविक , सामाजिक और भौगोलिक रूप से भी चप्पे चप्पे पर अलग सी शक सूरत लिए हुए | मगर फिर भी एक संस्कृति, संस्कार के कारण सब आपस में अटूट , जुड़े हुए |
हिमालय की तराई से लेकर अरावली की रेट और दक्षिण भारत के किसी समुद्र तात तक भी , भारत आत्मा से पूरी तरह जुड़ा है | बेशक बहुत क्रूर, असभ्य , कबीलाई , लालची लोगों ने भारतीय भू की समपन्नता कर संस्कृति की भ्रष्ट-नष्ट करने के सारे प्रयास किये , किन्तु गंगा नदी से लेकर खुद धरती तक को जननी माने समझने वाले संस्कार तो शाश्वत हैं , अमिट ,अजर ,अमर |
चूँकि भारतीय समाज प्रारम्भ से ही आत्मिक संतोष की कृपा से सदैव संपन्न सुखी रहा है इसलिए परिलक्षित करते हुए उत्सवी समाज रहा है | विदेश से आए यूए यात्री ह्वेनसांग तक ने आश्चर्य जताते हुए लिखा था , भारतीयय लगातार नए नए सरल व् समाज से जुड़े उत्सवों का आयोजन कर एक दूसरे को संगठित , स्फूर्त व क्रिया शील रखते हैं |
कल्पना करके देखिये कि अपनी साधारण स्वच्छ परिधानों में अपने खेत खलिहान आँगन दालान आदि में एक्टर होकर पूरा परिवार कुनबा गाँव कितनी साड़ी सामाजिक रीतियों पर विमर्श करता होगा
सनातन संस्कृति से जुड़े सभी उत्सव/त्यौहार अपने पौराणिक महत्त्व तथा उससे सम्बंधित सामाजिक सरोकारों के कारण ही इतने प्राचीन युगों से चले आकर अब तक चले आ रहे हैं |
आजकल कुछ ओछी मानसिकता के अति चतुर बुद्धिजीवी लोग सनातन के किसी भी उत्सव/त्यौहार का विरोध करने के लीयूए वो देख दिखा लेते हैं जो उनके अलावा खुद ईश्वर भी नहीं देख सकता | जैसे पेटा संस्था द्वारा रक्षाबंधन पर गाय को बचाने की सलाह | और अब हाल ही में एक ट्वीट में नवरात्रि के कन्यापूजन की परम्परा के बहाने पूरे सनातन संस्कृति के प्रति अपनी निकृष्ट सोच का प्रदर्शन कैसे किया जा रहा है ये भी सबको दिख रहा है |
विडम्बना pic.twitter.com/eAuclZEBV8
— Deepika Singh Rajawat (Kashir Koor) (@DeepikaSRajawat) October 19, 2020
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