शाहीन बाग़ याद है ! वो आजादी आजादी की ढोल ढपली वाली पीपी लाइव इवेंट याद है ! चलिए , मुगलों का उन दिनों लगाया हुआ नारा -कागज़ नहीं दिखाएंगे -तो जरूर ही याद होगा।  इस सारे सर्कस से लेकर दिल्ली /देश को दंगों की आग में झोंकने वाले सभी पिछले कुछ समय से जेलों में बंद -आजादी , आजादी कर रहे हैं और जाने कितनी बार अपने कागज़ दिखाते फिर रहे हैं।

इधर सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाते हुए मतदाता पहचानपत्र को आधार कार्ड से सम्बद्ध करने विषयक क़ानून भी संसद पटल पर रख दिया।  स्वाभाविक रूप से इसका भी विरोध ,पूर्वाग्रह से ग्रस्त कुछ विशेष लोगों/दलों द्वारा खूब किया गया और किया जा रहा है।

इस बीच दिल्ली पुलिस ने लोनी में ,आसिफ , खालिद और जावेद नामक तीन मुग़ल महारथियों को गिरफ्तार किया है।  कागज़ नहीं दिखाएंगे जमात के साथ गद्दारी करते हुए ये सभी आम आदमी पार्टी के विधायक हाजी यूनुस के आधिकारिक नोटपेड का इस्तेमाल किया जा रहा था।  पुलिस जांच के बाद ही पता चल सकेगा कि ये नकली आधार कार्ड अपने किन रोहिंग्या बिरादरों की हिन्दुस्तानी  पहचान बनाने के लिए किया जा रहा था या फिर मियाँ नसीरुद्दीन शाह के मंसूबों को पूरा करने के लिए मुग़ल खानदान से इनका रिश्ता स्थापित करने के लिए।  

यहां रिश्ते की  एक और बात जो सामने आती दिख रही है वो ये की जैसे दिल्ली में हुए दंगों में भी आम आदमी पार्टी के कुछ चश्मो चराग ही अपने मंसूबोब , करतूतों और अपराधों के कारण क़ानून के शिकंजे में आए हैं और इत्तेफाक से इस बार भी ये नकली कागज़ात तैयार करने के संगीन अपराध में भी आम आदमी पार्टी के विधायक हाजी यूनुस  का ही नाम आ रहा है

अब ये अंदाज़ा लगाना भी कठिन नहीं है कि , आखिर क्यों , आम आदमी पार्टी सहित अनेक छोटे राजनैतिक दल अपने निजी स्वार्थ और वोटों की राजनीति साधने के लिए ही , सरकार द्वारा मतदाता पहचानपत्र को आधारकार्ड से सम्बद्ध करने विषयक क़ानून का विरोध करना शुरू कर दिया है।  बेचारे कागज़ नहीं दिखाएँगे वालों के हाल और हालात  पर सिर्फ तरस खाना ही बचता है।

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