Forgotten Indian Freedom Fighters लेख श्रृंखला के 20 लेखों में आपने उन क्रांतिकारियों के बारे में पढ़ा है जिनके बारे में आपने पहले कभी कम या अधिक पढ़ रखा होगा, ज्यादा भी नही तो कम से कम नाम ही सुन रखा होगा।
लेकिन आज इस लेख श्रृंखला की इक्कीसवीं कड़ी में हम पढ़ेंगे भारत माँ के उस सपूत के बारे में जिनका आपने बमुश्किल कभी नाम भी सुना होगा।
उस गुमनाम क्रांतिकारी का नाम है – तिरुपुर कुमारन।

कुमारन का जन्म 04 अक्टूबर 1904 को तत्काल मद्रास प्रेसीडेंसी के इरोड जिले में हुआ था। बचपन से अंग्रेजों के बढ़ते अत्याचार ने कुमारन के मन में ब्रिटिश सत्ता के प्रति नफरत की भावना भर दी। कुमारन भी देश को आज़ाद कराने के महायज्ञ में अपनी आहुति देने के लिए स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए।

भारत सरकार द्वारा 2004 में जारी डाक टिकट

कुमारन मुख्य रूप से गांधी के विचारों से बेहद प्रभावित थे, वो भी ये मानते थे कि सत्याग्रह एवं अहिंसा के मार्ग से ही भारत को आज़ाद करवाया जा सकता है अन्यथा ब्रिटिश सत्ता हिंसा की आड़ में आंदोलन को कुचल सकती है।
महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में कुमारन ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और अंग्रेजी शासन का पूर्ण बहिष्कार किया। उन्होंने अन्य लोगो को भी इस आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।

असहयोग आंदोलन के वापस लेने की घोषणा के बाद कुमारन ने “देश बन्धु यूथ एसोसिएशन” नामक संगठन का निर्माण किया। ये संगठन पूरी तरह गांधीवादी आदर्शों पर आधारित था। समय समय पर इस संगठन द्वारा ब्रिटिश सत्ता का अहिंसात्मक तरीके से विरोध किया गया।

कुमारन के सम्मान में स्मारक

वर्ष 1930 में गांधी द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की गई जिसके अनुसार ब्रिटिश सत्ता की अवज्ञा करना था। कुमारन एवं उसके संगठन ने भी इस आंदोलन में भाग लिया।
इसी सम्बन्ध में 11 जनवरी 1932 को कुमारन भी हाथों में तिरंगा लिए हुए ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध एक रैली में भाग ले रहे थे। तभी ब्रिटिश पुलिस ने रैली पर लाठीचार्ज करना शुरू कर दिया, कुमारन को ब्रिटिश पुलिस ने चारों ओर से घेर लिया और उस पर लाठियां बरसाने लगे।
अंत में पुलिस की लाठियां खाते हुए नोय्याल नदी के किनारे मात्र 27 वर्ष की आयु में भारत माँ के इस सपूत की मृत्यु हो गयी, लेकिन इस वीर क्रांतिकारी की हिम्मत देखिए अंत समय तक तिरंगे को झुकने नही दिया।

आज़ादी की लड़ाई में बिना किसी स्वार्थ या लोभ के अपने प्राणों की आहुति देने वाले ऐसे नायकों की सूची बहुत लंबी है जिन्हें अपने ही देश में गुमनाम कर दिया गया।
भारत माँ के ऐसे वीर सपूत, क्रांतिकारी नायक तिरुपुर कुमारन को शत् शत् नमन।
जय हिंद
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