कहते हैं किसी शरीफ को इतना नहीं सताना दबाना चाहिए कि विवश होकर उसे भी फिर वही लंठई दिखानी पड़ जाए , क्यूंकि सबका अपना अपना दाँव है |

कार्टून बनाया , तुम्हें बुरा लगा , तुमने अखबार जला दिया , दफ्तर फूँक दिया , हेब्दो को क़त्ल कर दिया , चलो ये पुरानी बात हुई | अब तो दुनिया में हर महीने एक अंतरिक्ष यान शनि सूरज तक पहुंचने की तैयारी वाला युग आ गया है और अब भी , हाँ अभी भी उसी कार्टून को दिखा भर देने से तुम फिर अपनी कबीलाई सभ्यता को जगा कर लाए दुनिया को डराने

जब भारत पुराना भारत नहीं रहा , अमेरिका नहीं रहा , आस्ट्रेलिया नहीं रहा और तो और हमारा छोटा सा पिद्दू श्रीलंका तक नहीं रहा तो फिर फ्रांस अकेले कब तक भलमानुस और वो क्या कहते हैं लिब्रान्डु बनने का खामियाजा अपने लोगों के गर्दन रेतवा कर तो कभी उनके ऊपर ट्रक चढ़वाकर ,चुकाता रहता ??

अब फ्रांस की बारी है | ऐसे ऐसे और ऐसी ऐसी सिकाई की है फ़्रांस सरकार ने और अब भी कर रही है कि उनके तुर्की में बैठे अब्बू की दाढ़ी और अम्मी के बुर्के में एक साथ भक्क करके आग लग गई है | चिन्दी चोर तुर्की और उसके साथ कुछ कटोराछाप देश बायकाट फ्रांस के नारे लगा रहे हैं इन्हें कौन समझाए ये तो खसम , चाँद सूरज साईंस मैथ सबको ही बायकाट किये बैठे हैं | असल में इनका सिलेबस सीधे जन्नत के प्रिंट से छप कर आया है ,इसलिए आउट ऑफ़ द वर्ल्ड है |

इसलिए इनके साथ अब पूरा वर्ल्ड मिल कर आउट ऑफ़ द सिलेबस व्यवहार भी कर रहा है | आस्ट्रेलिया , श्रीलंका , जैसे देशों ने जहां सारे मस्जिद मदरसे सब बंद करवा दिए तो वहीँ पाकिस्तान के अब्बू चीन ने तो मुगलिया कब्रें तक खोद कर अपने कुकुरों को खिला दिया , बाद में उन कुत्तों को खुद का खा गए कमीने कोरोना कहीं के , चीनियों ने तो दाढ़ी बुर्का तक छिलवा लिया मुगलों के शरीर से , बेचारों का सारा गंदा हुस्न दुनिया को दिख गया |

अब जो रही सही कसर है वो फ्रांस और उसकी पुलिस कर रही है | गब्बर सिंह के डायलॉग की तरह “चुन चुन के मारूंगा” और बहुत कस्स के मारूँगा ,चिढ़ाऊँगा अलग |

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