केंद्रीय सत्ता से ही बेदखली हुई होती तो भी बर्दाश्त किया जा सकता था लेकिन पचास सालों से देश को अपने लिए लूट खसोट का साधन मात्र माने और बना देने वाली कांग्रेस को जिस बुरी तरह से देश के बहुसंख्यकों ने , पूरे धैर्य और सब्र से सोच समझ कर रसातल में मिला देने के लोगों के फैसले से बौखलाई कांग्रेस अब हताशा और झुंझलाहट में जो भी प्रयोग कर रही है और जिनके कहने पर ये सब कहा किया जा रहा है वो , यकीनन ही आत्मघाती साबित हो रहा है कांग्रेस और कांग्रेसियों के लिए ही।
कल कांग्रेस शासित , बल्कि ये कहना कि , अनुभवी और कद्दावर नेता कैप्टन अमरेंद्र सिंह सरीखे प्रशासक को यूँ उपेक्षित अपमानित करके पदच्युत करने के बाद , अन्य और भी सारे योग्य और वरीय विकल्पों को दरकिनार करते हुए , ठोको ताली और गाली ब्रांड नवजोत सिंह सिद्धू के निजि अहम को संतुष्ट करने के लिए चरणजीत सिंह चन्नी जैसे अनुभवहीन के हाथों सौंपा गया पंजाब असल में किसी भी शासनव्यवस्था के अधीन नहीं है , वहाँ प्रधानमन्त्री के विरुद्ध इतनी बड़ी साजिश का रचा जाना इसी सबका प्रमाण है।
कांग्रेस शांतिदूतों की सरमायेदार और वफापरस्त रही है -या कहा जा सकता है कि रहा करती थी , क्यूंकि आजकल तो राहुल अखिलेश से लेकर दिल्ली के सर जी और दीदी भैया सबमें खुद को बाहर अंदर से हिन्दू साबित करने की रेस लगी हुई है।
शायद इसलिए एक दो पचास सौ हज़ार नहीं पूरे 10 हज़ार लोगों को कांग्रेस सोशल प्लेटफॉर्म्स पर कांग्रेसी एजेंडे और नैरेटिव को कांग्रेस के मन मुताबिक़ ढालने के लिए , जैसे हाल फिलहाल में राहुल गाँधी ने अचानक ही -हिन्दू और हिंदुत्व – को छोड़कर एक नया ही शब्द गढ़ लिया -हिंदुत्व। तो ये जो कांग्रेस के लिए अंतरजाल पर सामग्री तैयार करेंगे वे कहलाएंगे – गाँधीदूत।
तो अब से इंटरनेट पर शांतिदूत + गाँधीदूत ,ही कांग्रेस के असली पहलूदार होंगे।
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