पश्चिम बंगाल चुनाव का शंखनाद हो चुका है और पिछले छः वर्षों में अजेय हो चुकी राजनीतिक पार्टी ने इस चुनाव के लिए अपना समर शंख ठीक उसी अंदाज़ में फूँक दिया है जैसे वो लोकसभा चुनाव से लेकर छोटे से पंचायत चुनाव तक में जयघोष करती है। प्रदेश की निरंकुश शासन व्यवस्था की स्वामिनी ममता बनर्जी अपनी अवश्यंभावी पराजय को देखते हुए पुनः वही अनर्गल बयानबाजी करके अपने मुगलिया मतदाताओं को अपने खेमे में रखने का आखिरी प्रयास कर रही हैं।

देश की सबसे बड़ी पार्टी और लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनावों तक में अपनी विजय पताका फहराने वाली भारतीय जनता पार्टी , मोदी ,शाह आदि से इतर वे तो जय श्री राम तक कहने वाले को अपना शत्रु मानती आई हैं। प्रदेश में किसी भी हिन्दू पर्व त्यौहार को बिना प्रशासनिक अड़चन डाले बिना कोई बाधा पहुँचाए , हिन्दुओं को आहत किए बिना उनके कार्यकाल और उनके एजेंडे का लक्ष्य कभी पूरा नहीं हुआ। ऐसे में यदि चुनाव में सनातन हिन्दू और राष्ट्रवाद से ओत प्रोत राजनीतिक दल ,उसके कार्यकर्ताओं ,हिन्दुओं को वे बाहरी व्यक्ति मानती हैं तो इसी से उनकी सोच और मानसिकता का परिचय मिल जाता है।

शायद यही वजह है कि अपने राज्य और अपने कार्यकाल में ,प्रशासनिक छत्रछाया में ममता सरकार ने मुगलों , रोहिंग्याओं और बांगालदेशियों को -हिन्दुओं की ह्त्या , लूट ,बलात्कार की खुली छूट दे रखी थी। अब नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में भी पूरे बंगाल से लेकर असम तक को जलाने वालों के साथ खड़ी होकर उन्हें देश का अपना और बाकी हिन्दू बंगालियों को पराया साबित कर रही थीं।

ठीक इसी प्रश्न के जवाब में एक स्थानीय पत्रकार को जब पलट कर अमित शाह जी ने पूछ दिया कि आज भारतीय जनता पार्टी जो एक राष्ट्रीय दल है , देश का सबसे लोकप्रिय और अधिकाँश राज्यों में सत्तारूढ़ दल है उसके नेता , उसके कार्यकर्ता यदि बाहरी व्यक्ति हो गए तो फिर इससे पहले राज्य में आने वाले तमाम कांग्रेसी नेता ,अन्य दलों के नेता किस प्रकार बाहरी नहीं थे ?? पत्रकार महोदय बँगले झाँकने लगे।

अपने एजेंडे और एक गहरे षड्यंत्र के तहत ,पडोसी देश बांग्लादेश से लगातार होने वाली घुसपैठ करवाकर बांग्लादेशी मुग़ल रोहिंग्याओं को प्रदेश में स्थापित करके अपने वोट बैंक को बढ़ाना एक खतरनाक परम्परा को जन्म देना था जिसे ममता सरकार ने बखूबी शुरू किया। और अब चुनाव के सामने आते ही वे अपने इस तुरुप के इक्के को सामने लाकर वही मुग़ल तुष्टिकरण वाली बरसों पुरानी घिसी पिटी राजनीतिक चाल को चल रही हैं।

आज देश के किसी भी राज्य , किसी भी क्षेत्र में रह रहे लोगों का कोई अपना राजनीतिक दल है तो वो सिर्फ और सिर्फ भारतीय जनता पार्टी है यह बात तृण मूल को जब तक समझ में आएगी तब तक इस तृण का समूल स्वाहा हो चुका होगा।

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