जिस तरह से मेवात में लगातार पूजनीय गायों की हत्या की जा रही थी और उसके प्रतिउत्तर में हिंदू धर्म योद्धाओं मोनू मानेसर व उनकी टीम ने कट्टरपंथियों का प्रतिकार किया उसी के बाद से तमाम लिबरल गैंग के पेट में दर्द हो रहा है।
जिस तरह से गौ रक्षक पंडित श्रीकांत के घर में राजस्थान पुलिस सुबह 3:00 बजे जबरन घुसी उसके परिवार के साथ मारपीट की और इसी क्रम में श्रीकांत के 9 महीने के नवजात बच्चे की मृत्यु हो गई, आखिर उस 9 महीने के नवजात का क्या दोष था? आखिर उस अजन्मे बच्चे ने क्या अपराध किया था? क्या राजस्थान पुलिस को एक 9 महीने की गर्भवती महिला को धक्का देते हुए शर्म नहीं आई? सिर्फ उस महिला और उस बच्चे का दोष इतना था कि वह हिंदू है।
गायों की सेवा करने वाले इस गौ रक्षक परिवार में इस 9 महीने के बच्चे ने अपना सर्वस्व बलिदान दे दिया तो ऐसे में इस सबसे नन्हे गौ रक्षक की पूरे राष्ट्र को सराहना करनी चाहिए। नमन करना चाहिए उस मां की कोख को जिसने तमाम दर्द सहे और अब ताउम्र उस दर्द के साथ जीएगी जिसमें उसने अपने 9 महीने के नवजात को खो दिया।
नमन करना चाहिए उस परिवार को जहां यह बलिदानी बच्चा आया और धर्म सेवा के लिए अपना बलिदान दे गया। गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादों जुरावर सिंह और फतेह सिंह ने धर्म के लिए अपना बलिदान दिया था 7 वर्ष और 9 वर्ष के इन बच्चों को राष्ट्र हमेशा कृतज्ञता के साथ याद करता है ऐसे में हमारा कर्तव्य है कि हम तमाम हिंदू धर्म को मानने वाले इस 9 महीने के बच्चे को नमन करें और इसे नन्हे नवजात #Hindu को गाय-गंगा के लिए बलिदान देने वाले बलिदानी के तौर पर याद किया जाए।
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