भूषण कुमार की इन हरकतों से दिवगंत गुलशन कुमार की आत्मा अब भी रोती होगी, t-series ने लांघ दी सारी सीमाएं..!!
हिंदुस्तान के खिलाफ जहर उगलना या भारत माता के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करना या देश के किसी भी स्वाभिमानी व्यवस्था के खिलाफ अपनी गंदगी भरी सोच को प्रदर्शित करना यह आज का मामला नहीं है यह षड्यंत्र पिछले कई वर्षों से हिंदुस्तानियों के साथ होता आ रहा है फर्क बस इतना है कि पहले तमाम राष्ट्रवादी लोग जागरुक नहीं थे लेकिन अब धीरे-धीरे सोशल मीडिया के माध्यम से ही सही पर हर हिंदुस्तानी सजग हो गया है जागरूक हो गया है उसे अब सही गलत का पता लगने लग गया है गलत के खिलाफ आवाज उठाने से अब वह पत्र आता नहीं है और सही के साथ खड़े रहने से भी उसे कोई प्रकार का डर नहीं लगता है
ऐसे तो बहुत से मामले आपको मिल जाएंगे जिसमें हिंदुस्तान के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने का कार्य निरंतर होता आया है परंतु क्या आपने कभी कल्पना की किटी सीरीज जिसके संस्थापक दिवगंत गुलशन कुमार थे उनसे लोगों की भावनाएं किस प्रकार से जुड़ी हुई है उस व्यक्तित्व के बारे में शायद ही कोई हिंदुस्तान और विदेश में व्यक्ति होगा जो गलत कहे लेकिन उनके द्वारा स्थापित टी सीरीज में साल 2014 में जिस प्रकार से अपनी एक फिल्म को रिलीज किया जिसका नाम था “यारियां” और इस फिल्म के माध्यम से जिस कदर भारत माता का मजाक उड़ाया गया उसकी जितनी निंदा की जाए उतनी कम है और निंदा तो छोड़िए जनाब फिल्म बनाने वाले से लेकर निर्देशन कलाकार और तमाम उन लोगों पर कानूनी कार्यवाही भी बनती है कि ऐसे तमाम लोग सलाखों के पीछे होने चाहिए क्योंकि उस फिल्म में दर्शाया गया एक सीन जिसमें सेना के जवान बॉर्डर पर जब घायल हो जाता है और भारत माता को पुकारता अपने अंतिम क्षणों में तब भारत माता के रूप में एक अदाकारा स्टेज पर आती है और आने के बाद इस अदाकारा को कम कपड़ों में नाचते हुए रवि बहुत से तरीके से अपने अंगो का प्रदर्शन करते हुए ना केवल भारत माता के किरदार को दागदार करने का प्रयास किया हो बल्कि हिंदुस्तान के एक-एक व्यक्ति के आत्मा को ठेस पहुंचाने का कार्य इस फिल्म के माध्यम से t-series ने किया हद तो तब हो जाती है जब पाकिस्तान का एक जवान उस सीन में यह कहता है कि हमें भारत नहीं चाहिए हमें तो बस अपने सीने से लगा दो आप सोचिए कि फिल्म के माध्यम से यूजर हो या डायरेक्टर हो या फिल्म निर्माता हो उसके दिमाग में कितनी गंदगी भरी पड़ी है उन्हें हिंदुस्तान का खाना है हिंदुस्तान का पहनना है हिंदुस्तान में रहना है लेकिन मजाक भी उन्हें हिंदुस्तान का ही उड़ाना है ऐसे विदेशों से फंडिंग किए जा रहे देशद्रोही आतंकियों पर ना केवल जांच बिठाई जाए बल्कि पिछले वर्षों के इनके आर्थिक लेनदेन इनके संपर्क और जड़ से लेकर अब तक के इनके तमाम क्रियाकलापों पर सख्त से सख्त कार्यवाही की जरूरत है तभी हिंदुस्तान को कलंकित करने के उनके प्रयासों पर लगाम लगेगी अन्यथा प्रोफेशनलिज्म के नाम पर यह नंगा नाच हमें रोज देखने को मिलेगा और 1 दिन आएगा जब यह चीजें आम हो जाएगी और लोगों की भावनाएं इस पर किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया देने से कराएगी बेहतर है राष्ट्रवादी लोगों को आगे आकर ऐसी देशद्रोही गतिविधियों का विरोध करना चाहिए और इन पर लगाम कैसे लगे ऐसे प्रयास करने चाहिए
इस फिल्म के निर्देशन में भूषण कुमार की पत्नी दिव्या कुमार खोसला उसका भी बहुत बड़ा किरदार रहा है आप कल्पना करिए कि ऐसी मानसिकता के लोग हिंदुस्तान को किस प्रकार से रक्त रंजित करने का प्रयास आज भी कर रहे हैं हमें इनका विरोध करने की जरूरत है इन से माफी मंगवाने की जरूरत है ताकि केवल यह तो माफी मांगे ही इनके साथ साथ पूरे हिंदुस्तान में यह संदेश जाना चाहिए कि भारत माता के खिलाफ किसी भी प्रकार की बदतमीजी को कोई भी हाल में स्वीकार नहीं किया जाएगा मेरा सामाजिक संगठनों से भी अनुरोध है कि वह आगे आए और इनके ऊपर प्राथमिकी दर्ज करवाएं जब तक यह लोग सार्वजनिक रूप से लिखित में माफी ना मांगे तब तक और इनके प्रसारण को जब तक प्रसारण विभाग द्वारा काटा नहीं जाए तब तक इन्हें माफ नहीं किया जाए
आज जब ऐसे दृश्य गुलशन कुमार की आत्मा देखती होगी तो रोती होगी क्योंकि टी सीरीज के संस्थापन के पीछे गुलशन कुमार का इरादा गीता प्रेस गोरखपुर की तरह बहुत ही स्वच्छ और निर्मल था गुलशन कुमार ने धर्म और धार्मिक व्यवस्थाओं को प्रसारित करने में कोई कमी नहीं छोड़ी हिंदुस्तान उनके इस योगदान का हमेशा ऋणी रहेगा सनातन धर्म की संस्कृति को प्रसारित करने में गुलशन कुमार का अपना एक अहम किरदार रहा है परंतु आज जिस प्रकार से टी सीरीज के नाम का दुरुपयोग देश विरोधी गतिविधियों में तथा देश की भावनाओं को आहत करने में किया जा रहा है निश्चित रूप से गुलशन कुमार की आत्मा खून के आंसू रोती होगी
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