देश जो आज अपना 74 स्वतंत्रता दिवस ,अपने आन बान शान के साथ पूरे हर्ष और उल्लास के साथ मना रहे हैं | लोकतंत्र के प्रतीक इस पर्व पर सब एक दूसरे को बधाई और शुभकामनाएं दे रहे हैं | लेकिन रुकिए ,इस सब में भी , सब शामिल नहीं हैं | पूरा देश जब तिरंगे को सलाम कर गर्व महसूस कर रहा है तो ठीक इसी समय ट्विट्टर जैसी सोशल नेट्वर्किंग साइट पर “झूठी है ये आजादी” के टैग के साथ भारतीय लोकतंत्र , देश , सरकार सबको अपमानित करने का प्रयास किया जा रहा है | आखिर अभिव्यक्ति की आज़ादी भी कोई अधिकार है या नहीं ?
इससे पहले और बार बार सबको सुनाई दिखाई देने वाला नारा “हम ले के रहेंगे आजादी ,हम लड़ के लेंगे आजादी ” विशेष समय पर ख़ास ख़ास लोगों द्वारा बाकायदा जुलूस जलसा दंगा फसाद करके ये बताया जताया और पूरे देश को चेताया गया -इतने से मन नहीं भरा ,थोड़ी और , उससे भी थोड़ी ज्यादा आजादी चाहिए | लेकिन दिल्ली बंगलौर की हालत देख कर तो ये भी साबित होता है कि -शहर देश दुनिया को जला मार कर ख़त्म करने और बार बार करते रहने के बावजूद भी अभी आजादी मिलने में थोड़ी बहुत कसर तो है ही |
पुलिस , सेना ,फ़ौज पर जब तब कीचड़ उछालने ,उन पर भद्दे और गलत आरोप लगाने और यहां तक कि उनपर पत्थर फेंकना ,तथा उनकी मौत पर जश्न तक मनाना आदि जैसे कामों की आजादी तो पहले ही ले रखी है , इसके बावजूद भी अभी और आजादी पाने के लिए विश्व व्यापी जेहाद जारी है |
सनातन धर्म पर , उसके प्रतीकों ,आस्थाओं ,मान्यताओं , और खुद ईष्ट तक को गाली देना , उनका मजाक उड़ाना , उनके विषय में झूठ फैलाना ,तिरस्कार करना ,धर्म स्थलों को नुकसान पहुँचाना आदि की आज़ादी तो ख़ास ख़ास लोगों को बाय डिफ़ॉल्ट उनके डीएनए में ही मिल रहा है | लेकिन इन्हें भी और अधिक आज़ादी चाहिए ? क्यों भाई जान अब क्या बाकी के सब काफिर हो चुकी दुनिया को एक साथ ही जिबह कर देना चाह रहे हो क्या ?
सिनेमा वालों को , फूहड़ कॉमेडियनों को , कुंठित कलाकारों को और इनके लगुओं भगुओं को भी आजादी चाहिए ,जितना नंगपना और बेशर्मी से वो बार बार हिन्दू विचारों और व्यवहारों को अपना धंधा और दुकानदारी चलाने के लिए ,आसान शिकार समझ कर , बार बार सोची समझी साजिश और षड्यंत्र रचते हैं उसकी पोल खुलते ही अब जनता जनार्दन उनकी मिजाज पुर्सी कर देती है -बस इसी कुटाई से बचने की फुल्ल टू आजादी चाहिए इन्हें |
कुछ टीवी चैनलों , उनके मालिक और खबरियों को , कुछ वेब पोर्टल वाले कुकुरमुत्तों को भी आजादी चाहिए | उल जलूल , झूठ ,भ्रम , पूर्वाग्रह और नकारात्मकता आदि को शब्दों की ढाल पहना पहना कर उसे लोगों के सामने समाचार की तरह पेश करके अपने गुपचुप वाले एजेंडे को पूरा करने की आजादी की बहुत दरकार है इन्हें | वैसे अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर पहले ही बहुत कूड़ा कचरा फैला रहे हैं ये ,मगर और ज्यादा गंद फैलाने की आजादी मिले तो बात बने |
कांग्रेस के शासनकाल में लोगों को शौच क्रिया करने के लिए रेल की पटरियों के पास जाने की आजादी थी ,सरकार बदली तो मिजाज और अंदाज़ भी बदल गया , आज लोगबाग घरों में ही शौचालय बनवा कर खुद के साथ साथ समाज को भी गंदगी से आजादी पाने की राह पर अग्रसर हैं |
तो असल में अब समय आ गया है कि , जितनी जो भी आजादी मिली है और उस आजादी के दुरूपयोग की जो चर्बी आँखों में चढ़ गई है उसे एक एक करके पिघला पिघला कर उतारा जाए ताकि रतौंधी से ग्रस्त ये तमाम फिरकी लेने वालों को पहले राष्ट्र और इसके बाद एक आजाद राष्ट्र की कीमत का अंदाज़ा हो सके | इस काम को आज और अभी शुरू किया जाए तो देश को नासूर बनते जा रहे ऐसे पिस्सुओं और दीमकों से एक दिन पूरी तरह आजादी मिल ही जाएगी |
तो उनको जाने देते हैं भाड़ में , आइये हम आप तिरंगा लहराएं और सांझ को दीप जलाएं और दुनिया से कह दें | “हाँ ,हम भारतीय हैं , और इसका हमें गर्व है ” | जय हिन्द ,जय भारत |
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