मुसलमान होने की शेंख़ी मारने वाले असल में कितने मुसलमान ??

फारुख अब्दुल्ला का दादा : रघुराम कौल

ओवैसी का दादा : तुलसीराम

मोहम्मद अली जिन्ना का बाप : पुंजालाल ठक्कर

और ये बोलते हैं हम मुसलमान हैं, असलियत में ये डरपोक हिन्दू थे जिनके पूर्वजों ने डर से सलवार पहन ली थी?

धर्म परिवर्तन करवाकर, जबरन शादी करवाकर, लव जिहाद जैसी हरकतें करके अपनी आबादी बढ़ाकर 15 मिनट के लिए पुलिस हटवाकर पूरे हिंदुस्तान को साफ कर देने का मंसूबा रखने वाले असल में खुद भी पक्के मुसलमान नहीं है इसका सच्चा सबूत इनके पूर्वज है लंबी लंबी दाढ़ी बढ़ाकर, ऊंचा पाजामा पहनकर, धार्मिक ढोंग करके धर्म में जहर घोलने वाले ये नपुंसक केवल हिंदुस्तान को तोड़ने की मंशा रखते है हां ये अलग बात है कि ये अपने इरादों में कामयाब नही हो पा रहे है

आज बिहार में हिंदू बेटा चिराग पासवान एक सीट जीतने में परेशान हो जाता है वहीं दूर दराज से आए ओवेशी की पार्टी वहां 5 सीट जीत जाती है ये सोचने का विषय है और ये एक अंदेशा है भविष्य को लेकर चेतावनी है कि अगर बिहार में ये हाल है तो ममता बानो से ममता बनर्जी बनी बंगाल की मुख्यमंत्री के राज्य में आगामी चुनाव में क्या हो सकता है मुसलमान असल में अपनी कौम के प्रति समर्पित है जिनके दिमाग में केवल जिहाद भरा हुआ है हिंदुस्तान के प्रति अक्षम्य सोच को ये लोग धीरे धीरे उजागर कर रहे है और रही सही कसर वर्तमान सरकारें भले ही वो राज्य सरकारें हो या केंद्र सरकार, अल्पसंख्यक के नाम पर बिछ जाते है

अभी कुछ दिन पहले राजस्थान की गहलोत सरकार ने एक अखबार में आवेदन निकाला कि मदरसा के विकास के लिए कम से कम 15 लाख और अधिकतम 25 लाख तक का ऋण बिना ब्याज के देने का आव्हान किया, जबकि वार्षिक हजारों करोड़ रुपया मदरसों के नाम पर, धार्मिक प्रचार के नाम पर, हज सब्सिडी के नाम पर आयोग के माध्यम से प्रदान किया जाता है दुख इस बात का नहीं है कि ऐसे सहयोग क्यों दे दुख इस बात का है कि सहयोग सरकार से लेकर इसी देश को धर्म के नाम पर तोड़ने का काम यही लोग करते है जिसकी निगरानी होनी जरूरी है क्योंकि अनर्थ व्यय पर लगाम जरूरी है

धर्म के नाम पर बांटने वाले इन नेताओ का DNA हिन्दू का है हिन्दुत्व का है ये बात साफ होनी जरूरी है ताकि ऐसे नेताओ के मंसूबों का आंकलन किया जा सके ।

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