फेक न्यूज फैलाने में वामपंथी पत्रकारों और बड़े मीडिया संस्थानों ने बड़ी भमिका निभाई है। लेकिन इसके लिए उन्हें सरकारों द्वारा लताड़ भी लगाई जाती रही है. लेकिन दुख तब होता है जब लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाली मीडिया किसी एक खास समुदाय का पक्ष लेकर खबरें दिखाती है। यही हाल है इंडिया टुडे का ।

दरअसल दो दिनों से झारखंड की अंकिता के लिए जहां पूरे देश में इंसाफ की मांग उठ रही है वहीं अंकिता के खूनी शाहरुख हुसैन के लिए फांसी से कम देश को कुछ भी मंजूर नहीं है. वहीं इस बीच खुद को बड़ा चैनल बताने वाले India Today ने अपनी अलग ही थ्योरी डालकर अपनी हिंदु विरोधी पत्रकारिता का परिचय दिया है. दरअसल रिपोर्ट के मुताबिक इंडिया टुडे ने आरोपी शाहरुख का असली नाम छिपा कर उसे ‘अभिषेक’ बताया है. हालांकि वो अलग बात है कि जब सोशल मीडिया पर लोगों ने India Today को खरी-खोटी सुनायी तो अब विरोध के बाद शाहरुख़ का असली नाम India Today लिख दिया है.

लेकिन सवाल ये कि आखिर जब पूरा देश घटना के दिन से ही आरोपी का नाम शाहरुख बता रहा है तो भला इनके कौन से ऐसे खोजी पत्रकार हैं जो आरोपी का नाम अभिषेक होने की खबर इन्हें देते हैं? पत्रकारिता करने वाले जानते हैं कि कई बार हमें बदला हुआ नाम (काल्पनिक नाम) लिखना होता है. ऐसे में इस संस्थान ने तो ये भी लिखने की जहमत भी नहीं उठाई कि ये बदला हुआ नाम है।

दरअसल बलात्कार और यौन शोषण जैसे संगीन मामलों में पीड़िता या नाबालिग की असली पहचान नहीं बतायी जाती है और काल्पनिक नाम लिखना पड़ता है। लेकिन, यहां तो ‘इंडिया टुडे’ 17 साल की बेकसूर लड़की के सनकी हत्यारे को ही बचा रही है । एक मुस्लिम लड़के को इसके लिए हिन्दू तक बता दिया गया। वहीं फोटो कैप्शन में ‘इंडिया टुडे’ ने लिखा था, “आरोपी अभिषेक को पुलिस की कस्टडी में हंसते हुए देखा जा सकता है।” कंटेंट में मीडिया संस्थान ने लिखा था, “आरोपित अभिषेक को हंसते हुए देखा गया, जब उसे हथकड़ी पहना कर पुलिस की गाड़ी से ले जाया जा रहा था।” अब सोचिए एक नही दो नहीं कई जगहों पर बार-बार हिंदु लड़के के नाम अभिषेक का इस्तेमाल किया गया है.

आखिर इंडिया टुडे ने शाहरुख़ हुसैन को ‘अभिषेक’ क्यों बना दिया? जिस दरिंदे ने 5 साल तक एक लड़की को परेशान करने के बाद उसपर पेट्रोल डाल कर उसे मार डाला उसके लिए ऐसी दया, ये सहानुभूति क्यों ?

इंडिया टुडे बार-बार इस तरह की खबरों को लेकर अपनी भद्द पिटावाता रहता है. लेकिन ऐसी हरकत ये बताने के लिए काफी है कि किस तरह कुछ मीडिया हाउस अपनी नैतिक जिम्मेदारी का त्याग कर एक संवेदनशील विषय पर हिंदु विरोधी एजेंडा चलाने से बाज नहीं आते!

 

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