झारखंड में आदिवासी समाज के लोग हमेशा से धर्मांतरण गैंग वालों के निशाने पर रहते हैं, खास कर उन इलाकों में रह रहे आदिवासियों को ये लोग अपने चंगुल में फंसाते हैं जो आर्थिक रूप से बेहद कमजोर, शिक्षा के मामले में पिछड़े होते हैं साथ ही इनकी माली हालत भी अच्छी नहीं होती. जिसका फायदा धर्मातरण गिरोह उठाता है और उन्हें जरा से पैसों का लालच देकर उनका धर्म परिवर्तन करा लेता है.
लेकिन धीरे-धीरे आदिवासी समाज के लोग भी अपने लोगों को सही रास्ते पर लाने के लिए काम कर रहे हैं, इसी कड़ी में 16 सितंबर को बिरसा सरस्वती शिशु मंदिर तपकरा में जनजाति सुरक्षा मंच के तत्वावधान में आयोजित एक बैठक में सह संयोजक सोमा उरांव ने कहा कि अब धर्म परिवर्तन करने वाले पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकेंगे, दैनिक जागरण के मुताबिक उन्होंने कहा कि ग्राम प्रधान, मुखिया, प्रमुख और जिला परिषद का पद केवल अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए ही है। जो अपने रीति-रिवाज और परंपरा का निर्वहन और संवर्धन करेगा, वैसे लोगों का ही साथ देना होगा।
इस दौरान इस बैठक में आदिवासी समाज के लोगों ने अपनी धर्म संस्कृति रीति-रिवाज और परंपरा को बचाए रखने पर भी चर्चा की , उन्होंने कहा कि इसके लिए सभी को शिक्षित होना होगा और अपने अधिकारों से संबंधित कानूनों के बारे में जानना होगा । उन्होंने कहा कि पाहन, महतो, मुंडा, पानी भरवा वगैरह अपनी परंपरा को छोड़ रहे हैं, उन्हे सही रास्ते पर लाने की जरूरत है। जो धर्मांतरण कर दूसरे समुदाय में चले गए हैं, वैसे लोगों को पाहन, मुंडा, महतो, पानी भरवा के पदों से तुरंत हटाने की जरूरत है.
धर्म परिवर्तन गिरोह के चंगुल में फंसने वाले लोगों की घर वापसी के लिए भले ही ये छोटा सा प्रयास है लेकिन जल्द ही आने वाले दिनों में अलग-अलग पंचायतों में आदिवासी समाज के लोगों भी ऐसे ही एलना करेंगे ताकि धर्म परिवर्तन वाले लोगों का नेक्सस पूरी तरह खत्म हो जाएं।
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